धर्म मोल नहीं मिलता, यह अनमोल : मुनि भूपेंद्र
धर्म का सम्मान हमेशा आत्मा के साथ चंद्र जुड़ा हुआ होता है। जिस व्यक्ति की आत्मा इतनी उज्ज्वल पवित्र होती है वह व्यक्ति उतना ही ज्यादा अपने जीवन में धर्म ध्यान के क्षेत्र में आगे बढ़ सकता है। भावनाओं के सत्य के साथ के अंदर जो कार्य किया जाता है वहीं वास्तव के अंदर हमारे को अध्यात्म के पथ पर आगे बढ़ाने वाला होता है।
संस, लुधियाना : धर्म का सम्मान हमेशा आत्मा के साथ चंद्र जुड़ा हुआ होता है। जिस व्यक्ति की आत्मा इतनी उज्ज्वल पवित्र होती है, वह व्यक्ति उतना ही ज्यादा अपने जीवन में धर्म ध्यान के क्षेत्र में आगे बढ़ सकता है। भावनाओं के सत्य के साथ के अंदर जो कार्य किया जाता है, वहीं वास्तव के अंदर हमारे को अध्यात्म के पथ पर आगे बढ़ाने वाला होता है। स्वार्थ के लिए जो कार्य किया जाता है। वह केवल इस संसार के अंदर हमारे को चारों तरफ भव भ्रमण करवाने वाला बन जाता है। इसलिए व्यक्ति को हमेशा अपने जीवन में अध्यात्म के पथ पर आगे बढ़ते समय इस मंत्र को याद रखना चाहिए। स्वार्थ नहीं, परमार्थ के लिए मेरे को अपने जीवन में त्याग का पद है। यह अपनाना है धर्म अनमोल होता है इसको कभी खरीदा नहीं जा सकता। उपरोक्त विचार तुलसी कल्याण केंद्र के प्रांगण में धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि भूपेंद्र कुमार ने व्यक्त किए। कार्यक्रम का प्रारंभ पदम कुमार ने मंगलमय गीत के साथ किया। इस अवसर पर उड़ीसा प्रदेश बलांगीर जिले के कांटवाजी एक कस्बे से सामागत श्रावक जसकरण जैन ने अपना भावपूर्ण गीत से गुरुदेव की वंदना की। गुरुदेव भूपेंद्र मुनि ने कहा भगवान महावीर ने अपने जीवन में त्याग की प्रतिष्ठा को हमेशा ही प्रतिष्ठित करने का प्रयास किया और उनके जीवन में भी त्याग की महत्ता को उजागर करने का प्रयास किया। भगवान महावीर ने इसीलिए अंतिम समय में संथारा व्रत को स्वीकार करके अपने जीवन को समाधि अवस्था की ओर अग्रसर करके आत्म कल्याण के पथ को प्रशस्त किया था। भगवान महावीर के पानी से प्रेरणा लेकर हम भी अपने जीवन के अंदर अनमोल धर्म की प्रतिष्ठा को प्रतिष्ठित करेंगे तब ही भगवान महावीर की वाणी है वह हमारे जीवन के लिए कल्याणकारी बनेगी।