श्रद्धा नए विश्वास को जागृत करती है: मुनि भूपेंद्र
श्रद्धा किसी मनुष्य के अंदर एक नए विश्वास का जागरण करती है। जब विश्वास जागृत हो जाता है तब अपने को अपने आप ही सफल रहे हैं। वीतराग भगवान की वाणी है। वह हमारे भीतर में नई श्रद्धा का जागरण करने वाली है। ये बातें आचार्य तुलसी कल्याण केंद्र के प्रांगण में मुनि भूपेंद्र कुमार ने कहीं।
संस, लुधियाना : श्रद्धा किसी मनुष्य के अंदर एक नए विश्वास का जागरण करती है। जब विश्वास जागृत हो जाता है, तब अपने को अपने आप ही सफल रहे हैं। वीतराग भगवान की वाणी है। वह हमारे भीतर में नई श्रद्धा का जागरण करने वाली है। ये बातें आचार्य तुलसी कल्याण केंद्र के प्रांगण में मुनि भूपेंद्र कुमार ने कहीं।
उन्होंने आगे कहा पावापुरी के राजा राजा हस्तीपाल के मन में यह श्रद्धा जगती है कि मैं अपने अपने घर पर भगवान महावीर का चातुर्मास करवाने का प्रयास करूं, तो मेरे को सफलता मिल सकती है। तत्काल वह अपने प्रयास को प्रारंभ कर देता है। भगवान महावीर के चरणों में अपनी भावनाओं को प्रस्तुत करने के लिए भी पहुंच जाता है। जब वह अपनी भावनाओं को प्रस्तुत करना प्रारंभ करता है। राजा हस्ती पाल के श्रद्धा भावना और समर्पण को देखकर सुधर्मा सभा में उपस्थित देव, दानव, गंधर्व, यक्ष, राक्षस, किन्नर, मनुष्य और पशु पक्षी आश्चर्यचकित रह जाते हैं। क्या राजा हस्तीपाल की भावना को भगवान महावीर स्वीकार करवाएंगे, पर जहां श्रद्धा का बल होता है वहां पर भावनाएं अपने आप ही साकार रूप ग्रहण करना प्रारंभ कर देती है।