चिता नहीं, चितन कीजिए:- अचल मुनि
गुरु से ही जिदगी शुरु होती है। गुरु सारी चिताओं का निराकरण करते है। इंसान को नींद तभी आती है जब वो निश्चित हो जाता है। यह विचार एसएस जैन स्थानक शिवपुरी की सभा में अचल मुनि ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि चिता एक जहर है। चिता तन मन दोनों को जलाती है। चिता नहीं चितन कीजिए।
संस, लुधियाना : गुरु से ही जिदगी शुरु होती है। गुरु सारी चिताओं का निराकरण करते है। इंसान को नींद तभी आती है, जब वो निश्चित हो जाता है। यह विचार एसएस जैन स्थानक शिवपुरी की सभा में अचल मुनि ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि चिता एक जहर है। चिता तन, मन दोनों को जलाती है। चिता नहीं, चितन कीजिए। समस्या का समाधान जरुर मिलेगा। कुछ अच्छे दोस्त जरुर बनाइए और अपने मन की सारी बाते उनसे कह डालिए। आंगन में लगे पेड़-पौधों के सामने भी चिताओं को उगला जा सकता है। जिस व्यक्ति की ओर से चिता है, उसे कह डालिए, जिससे चिता की जड़ ही कट जाए।
उन्होंने कहा कि आज इंसान अपने आप से ही दूर हो गया है। एक मछली है, नदी में रहती है। तो खुशी रहती है। एक दिन नदी से बाहर आ जाती है तड़पती है, परेशान होती है। एक बार मछली से संत ने पूछा कि मैं परेशान क्यूं हूं, संत कहते है कि तू पानी से दूर हो गई। इस कारण से परेशान है। पुन पानी में चले जाओ तो सुखी हो जाएगी। भरत मुनि ने कहा कि हमेशा दूसरों की इज्जत करो, कभी किसी का अपमान मत करो। इज्जत हमेशा इज्जतदार लोग ही करते है। क्योंकि जिनके पास खुद इज्जत नहीं वो किसी ओर को क्या इज्जत देंगे।