हिसा का मार्ग दुखों से भरा : अनुपम मुनि

गुरुदेव अनुपम मुनि ने कहा कि आज व्यक्ति हिसक बनता जा रहा है। हिसा का अर्थ है जो व्यक्ति क्रूरता से भरा है जिसके जीवन में प्रेम प्यार सौहार्द सहयोग की सरिता सुख है। जो दूसरे को दूसरा मान बैठा है उसी का नाम हिसा है। हिसा की बुनियाद दूसरा मानने पर ही कायम है। जहां पर दूसरों को दुख देने की भावना बनी हो वही हिसा है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 06:20 PM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 06:20 PM (IST)
हिसा का मार्ग दुखों से भरा : अनुपम मुनि
हिसा का मार्ग दुखों से भरा : अनुपम मुनि

संस, लुधियाना : तपसम्राट श्री सत्येंद्र मुनि महाराज सा., लोकमान्य संत श्री अनुपम मुनि म. सा., मधुरभाषी श्री अमृत मुनि म. सा., विद्याभिलाषी अतिशय मुनि म. सा. ठाणा-4 जैन स्थानक नूरवाला रोड़ में विराजमान है। गुरुदेव अनुपम मुनि ने कहा कि आज व्यक्ति हिसक बनता जा रहा है। हिसा का अर्थ है जो व्यक्ति क्रूरता से भरा है, जिसके जीवन में प्रेम प्यार सौहार्द सहयोग की सरिता सुख है। जो दूसरे को दूसरा मान बैठा है, उसी का नाम हिसा है। हिसा की बुनियाद दूसरा मानने पर ही कायम है। जहां पर दूसरों को दुख देने की भावना बनी हो, वही हिसा है। हिसा के अंदर व्यक्ति क्रूर हो जाता है। वह दूसरों को दुख देकर स्वयं सुखी होना चाहता है। दूसरों के सुखों को लूट कर वह स्वयं सुखी होने का झूठ स्वप्न देखता है। हिसा का मार्ग दुखों भरा मार्ग है, जिससे कांटे ही कांटे भरे है। दुख ही दुख भरे है। प्रभु महावीर ने कहा आत्म कल्याण के लिए ह्दय में प्रेम सहयोग अपनत्व का जीवन में होना बहुत जरूरी है। जब दूसरापन से व्यक्ति दूर होता है, तभी अहिसा का भाव जन्म लेता है।

इस अवसर पर एसएस जैन स्थानक नूरवाला रोड़ चेयरमैन जितेंद्र जैन रशम, सभाध्यक्ष राकेश जैन, महामंत्री अशोक जैन ओसवाल, व्रिकम जैन गब्बर ने गुरुदेव की वंदना कर आशीर्वाद लिया।

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