शांति वैभव से नहीं, बल्कि त्याग से मिलती है: साध्वी रत्न संचिता
एसएस जैन स्थानक सिविल लाइंस में तपचंद्रिका श्रमणी गौरव महासाध्वी वीणा महाराज ठाणा-5 सुखसाता विराजमान है। इस अवसर पर साध्वी रत्न श्री संचिता महाराज ने संतोष कला को सर्वोत्तम बतलाते हुए कहा कि संसार के समस्त पदार्थ प्राप्त करने के बाद भी मानव मन अशांति में जीता व मरता है।
संस, लुधियाना : एसएस जैन स्थानक सिविल लाइंस में तपचंद्रिका श्रमणी गौरव महासाध्वी वीणा महाराज ठाणा-5 सुखसाता विराजमान है। इस अवसर पर साध्वी रत्न श्री संचिता महाराज ने संतोष कला को सर्वोत्तम बतलाते हुए कहा कि संसार के समस्त पदार्थ प्राप्त करने के बाद भी मानव मन अशांति में जीता व मरता है। इसके निवारण के लिए मुनियों द्वारा प्ररुपित संतोष धन को ही अपनाना चाहिए। अथाह संपत्ति का मालिक अपने गुरु से सुखी होने का उपाय पूछता है तो गुरु ने कहा इस संपत्ति पर राख धूल डालकर ही सुखी बना जा सकता है। मानव मन लोभ के वशीभूत बनकर सदा अशांत दुखी रहता है। शांति वैभव से नहीं, अपितु वैभव के त्याग से मिलती है।
इस दौरान महासाध्वी वीणा जी महाराज ने कहा जीवन में जो भी प्राप्त है वह पर्याप्त है। उस सूत्र को अपनाए बिना व्यवस्थित नहीं बना सकते। वर्तमान में मानव मन पेटी को भरने में रात दिन निमम्न रहता, जबकि लक्ष्य हमारा पेट भरने का रहना चाहिए। गुजराने का प्रयास करते रहना ही सुखी जीवन का रहस्य है। उसके विपरीत मानव का भी सदुपयोग नहीं कर पात एवं अनंत लालसाओं के गर्व में गिर पड़ता है। आज आवश्यकता है अपनी इच्छाओं पर लगाम लगाने की। यही धर्म की वास्तविकता है।
इस अवसर पर एसएस जैन सभाध्यक्ष अरिदमन जैन, चातुर्मास कमेटी चेयरमैन जितेंद्र जैन, सीनियर उपाध्यक्ष सुभाष जैन महावीर, महामंत्री प्रमोद जैन, नीलम जैन कंगारु, कोषाध्यक्ष रजनीश जैन गोल्ड स्टार, मोती लाल जैन, विनोद जैन गोयम, संजय जैन, वैभव जैन व समस्त कार्यकारिणी सदस्यगण शामिल थे।