अहंकार पतन का कारण: रचित मुनि
एसएस जैन स्थानक जनता नगर में विराजित जितेंद्र मुनि म .के सानिध्य में मधुर वक्ता रचित मुनि ने कहा कि उत्तम मार्दव धर्म अहंकार के विसर्जन की प्रेरणा देता है। अहंकार सबसे बड़ी समस्या है। समर्पण ही इसका समाधान है।
संस, लुधियाना : एसएस जैन स्थानक जनता नगर में विराजित जितेंद्र मुनि म .के सानिध्य में मधुर वक्ता रचित मुनि ने कहा कि उत्तम मार्दव धर्म अहंकार के विसर्जन की प्रेरणा देता है। अहंकार सबसे बड़ी समस्या है। समर्पण ही इसका समाधान है। आत्मा और परमात्मा, भक्त और भगवान के बीच अहंकार का ही तो पर्दा है। पर्दा हटते ही भगवान से भक्त का मिलन, साक्षात्कार हो जाता है, क्योंकि आज तक अहंकार किसी का टीका नहीं रावण, कंस,ओर दुर्योधन सब के उदाहरण हमारे सामने हैं। अहंकार से सब पतन को प्राप्त हुए है।
उन्होंने कहा कि अहंकार ऐसा विनाश करता है कि कभी-कभी खानदान ही नष्ट हो जाता है। रावण को कौन नहीं जानता, जिसके पीछे पूरा परिवार ही तबाह हो गया था। उसकी सोने की लंका तक जलकर राख हो गई थी। इस दौरान जितेंद्र मुनि ने कहा कि दो ऐसे सत्कर्म है जिससे मनुष्य के हाथ पवित्र होते हैं जिसने अपने हाथों से दान नहीं किया उसके पास चाहे अपार धन संपदा क्यों ना हो, परंतु वह समुद्र के पानी की तरह किसी काम की नहीं है दूसरी बात इन हाथों का उपयोग सेवा के लिए किया जाता है।