बाहरी सुख-सुविधा ही दुख का कारण: अचल मुनि
आज प्रत्येक व्यक्ति तनावपूर्ण जीवन जी रहा है। चाहे बच्चा बूढ़ा या जवान हो सभी तनाव से ग्रस्त हैं। इसका कारण है संतोष का अभाव होना। हमारे जीवन में जितनी अधिक इच्छाएं होंगी उतने ही हम दुखी होंगे।
संस लुधियाना : आज प्रत्येक व्यक्ति तनावपूर्ण जीवन जी रहा है। चाहे बच्चा, बूढ़ा या जवान हो, सभी तनाव से ग्रस्त हैं। इसका कारण है संतोष का अभाव होना। हमारे जीवन में जितनी अधिक इच्छाएं होंगी, उतने ही हम दुखी होंगे। ये पंक्तियां सिविल लाइंस जैन स्थानक की प्रार्थना सभा में भीष्म पितामह सुमित प्रकाश मुनि के सुशिष्य अचल मुनि महाराज ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि धन से मात्र साधन की उपलब्धि तो संभव है, लेकिन बाहरी सुख सुविधा दुख का कारण बन रही है। हम इस महामारी कोरोना के युग में जी रहे है। आवश्यकता है इन साधनों को कम करने का प्रयास कर मानसिक शांति के लिए आत्म भाव में विचरण करे। तप, जप साधना स्वाध्याय में पुण्य परोपकार जीवदया में प्राप्त नमन धन का सदुपयोग करते रहें। तभी मन की शांति संभव है।
इस अवसर पर भरत मुनि ने कहा कि कुदरत ने जीव को भोजन दिया, हवा पानी, तथा धरती दी। इस धरती को हम मां का रूप देते है। आज वह जहरीली हो चुकी है। हमने वातावरण भी दूषित कर दिया है। कोरोना वायरस से जिदगी रुक गई है। आज हवा शुद्ध, पानी साफ तथा नीला आसमान कलियुग जीव को अहसास कराता है कि अपने कुदरती स्त्रोतों के साथ बेइंसाफी की है। उन्होंने कहा कोरोना वायरस हमें एक बहुत बडे़ कब्र के रुप में दिखाई दे रही है। हम खाली समय में भगवान की आराधना करेंगे, तो भगवान ऐसे कष्टों को हमारे शरीर के नजदीक नहीं आने देंगे।