बेहतर कलाओं में सबसे बड़ी है धर्म कला: भरत मुनि
एसएस जैन स्थानक शिवपुरी में अचल मुनि भरत मुनि महाराज सुखसाता विराजमान हैं। चातुर्मास की वेला पर श्रावक श्राविकाएं गुरु दर्शनों का लाभ ले रहे है। इस अवसर पर धर्म का मार्ग बताते हुए गुरुदेव अचल मुनि महाराज ने कहा कि आंखे खोलकर बाहर झांकते हैं तो संसार के प्लेटफार्म पर मानवों का झुंड चलता हुआ दिखाई देता है।
संस, लुधियाना : एसएस जैन स्थानक शिवपुरी में अचल मुनि, भरत मुनि महाराज सुखसाता विराजमान हैं। चातुर्मास की वेला पर श्रावक श्राविकाएं गुरु दर्शनों का लाभ ले रहे है। इस अवसर पर धर्म का मार्ग बताते हुए गुरुदेव अचल मुनि महाराज ने कहा कि आंखे खोलकर बाहर झांकते हैं तो संसार के प्लेटफार्म पर मानवों का झुंड चलता हुआ दिखाई देता है। क्या वास्तव में ये सभी मानव है। क्या इनमें मानवीय सदगुणों का ख्जाना है, क्या ये मानव कहलाने के हकदार है, भी या नहीं? इन मानवों की शक्ल में कुछ शैतान व हैवान भी छिपे मानव हुए है। पृथ्वी पर कुछ मानव ऐसे होते है, जिनकी कुछ कलाएं बेमिसाल होती है, वो इंसान अपनी कलाओं के कारण पृथ्वी के श्रृंगार बन जाते हैं। उस युग पुरुष को जमाना 100 बार नमन करता है।
भरत मुनि महाराज ने कहा कि बेहतर कलाओं में सबसे बड़ी कला है धर्म कला, धर्म कला यानि जीवन जीने की कला। भाषा, भोजन, व्यवहार व भाव सब कुछ उनका सुंदर ही होता है। घर में वो सुकुन , समाज में समाधान राष्ट्र में वरदान रूप होते हैं। ऐसे देव पुरुष का पलभर का सहवास भी कल्पवृक्ष की छाया जैसा लगता है। वो अपनी विनम्रता की जादुई छड़ी को घुमा कर सबको चमत्कृत कर देता है।