जरूरत से अधिक बोलना बुरा: रचित मुनि

शिवाचार्य शिष्य हिमाचल रत्न श्री जितेंद्र मुनि महाराज मधुर वक्ता श्री रचित मुनि महाराज विद्याभिलाषी श्री तेजस मुनि महाराज ठाणा-3 सिविल लाइंस आत्म श्रवण से विहार कर श्री गुरु शुक्ल स्मारक गली नंबर पांच सुंदर नगर में विराजमान हुए।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 08 Dec 2021 07:06 PM (IST) Updated:Wed, 08 Dec 2021 07:06 PM (IST)
जरूरत से अधिक बोलना बुरा: रचित मुनि
जरूरत से अधिक बोलना बुरा: रचित मुनि

संस, लुधियाना : शिवाचार्य शिष्य हिमाचल रत्न श्री जितेंद्र मुनि महाराज, मधुर वक्ता श्री रचित मुनि महाराज, विद्याभिलाषी श्री तेजस मुनि महाराज ठाणा-3 सिविल लाइंस आत्म श्रवण से विहार कर श्री गुरु शुक्ल स्मारक गली नंबर पांच सुंदर नगर में विराजमान हुए।

इस अवसर पर रचित मुनि महाराज ने कहा कि क्रोध, लोभ, भय, हास्य, क्रीडा, कौतूहल, राग या द्वेष के कारण व्यक्ति झूठ का प्रयोग करता है, असत्य बोलने से जीव एकेन्द्रिय योनि में जाता है। वह मानव बनने पर गूंगा होता है, मुंह के रोगों से पीडित होता है। असत्य बोलने वाले को समाज में कोई प्रभाव नहीं रहता। जरुरत से अधिक बोलना भी बुरा है। अधिक बोलने से शारीरिक, मानसिक तथा बौद्धिक शक्तियां क्षीण होती है। उसकी काफी शक्ति अधिक बोलने में खर्च हो जाती है। उन्होंने कहा कि बेकार बोलना या बिना पूछे किसी को सलाह देना भी त्रुटिपूर्ण है।

जितेंद्र मुनि ने कहा कि संसार असार है। ये संसार पांच कारणों से कलंकित हैं- दुखमय, पापमय, रागमय, स्वार्थमय, अज्ञानमय। उन्होंने आगे कहा कि अगर हमको आंतरिक वैभव चाहिए तो हमें गुण वैभव की प्राप्ति करनी पडे़गी और गुण वैभव पाप के नाश से ही प्राप्त होगा। यह संसार दुखमय है, फिर भी हमको सुखमय लगता है। वैसे करेला कड़वा होता है, लेकिन हम उसको पकाते हुए मिठास और खटास डालते हुए संस्कारित करते है।

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