सत्संग जीवन का रस और आनंद है : आचार्य डा. शिवमुनि
यह जीवन माता-पिता के सौजन्य से बड़े ही भाग्य से मिला है। इस उपयोग हम ईमानदारी सच्चाई व समाज में अच्छे कार्य करते हुए करें।
संस, लुधियाना : 'यह जीवन माता-पिता के सौजन्य से बड़े ही भाग्य से मिला है। इस उपयोग हम ईमानदारी, सच्चाई व समाज में अच्छे कार्य करते हुए करें। जीवन में सलाह सभी की लेनी चाहिए और दूसरों को सार्थक सलाह ही देना चाहिए।' ये बातें श्रमण संघीय चतुर्थ पट्टधर आचार्य डा. शिवमुनि ने अपने संदेश में श्रावक-श्राविकाओं से कही। उन्होंने कहा कि सत्संग बुराई को भलाई में बदल देता है। नियमित सत्संग से मन एवं अंतकर्ण शुद्ध एवं पवित्र हो जाते है। उन्होंने कहा कि सत्संग ही जीवन के सभी रोगों का निदान है। सत्संग जीवन का रस है, विचारों का अमृत एवं जीवन का आनंद है। संत महात्माओं के दर्शन मात्र से जीवन में अनेक अच्छे गुणों का निर्माण हो जाता है।
परम शांति के लिए पैसों की जरूरत नहीं : डा. दीपेंद्र मुनि
डा. दीपेंद्र मुनि ने कहा कि परम शांति को प्राप्त करना है तो पैसा या किसी वस्तु की जरूरत नहीं है। आज मनुष्य अपने कर्मो को बिगाड़ कर दानव की तरह होता जा रहा है। मनुष्य पाप करता है और उसे पुण्य में बदलने के लिए भगवान की पूजा करता है। जबकि कर्मो का फल सबको भोगना पड़ता है। उन्होंने आगे संदेश में कहा कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर सभी के लिए घातक रूप लिए हुए है। घरों में रहकर नवकार मंत्रका उच्चारण, मंगलमय पाठ सुनें, ताकि यह खतरनाक मोड़ जल्द खत्म हो सके।