विवेक शक्ति से ही होगा सही आचरण : अचल मुनि

श्रमण संघीय सलाहकार भीष्म पितामह तपस्वी रत्न गुरुदेव सुमित प्रकाश मुनि म. सा. के सुशिष्य अचल मुनि भरत मुनि एसएस जैन स्थानक शिवपुरी में सुखसाता विराजमान हैं। अचल मुनि महाराज ने कहा कि यदि हमारे पास विवेक शक्ति होगी तभी हम अच्छा आचरण अपना सकेंगे। उन्होंने कहा कि हम अपनी पांचों इंद्रियों का कैसे उपयोग कर पाते है परमात्मा ने हमें यह शरीर दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 06:58 PM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 06:58 PM (IST)
विवेक शक्ति से ही होगा सही आचरण : अचल मुनि
विवेक शक्ति से ही होगा सही आचरण : अचल मुनि

संस, लुधियाना : श्रमण संघीय सलाहकार भीष्म पितामह, तपस्वी रत्न गुरुदेव सुमित प्रकाश मुनि म. सा. के सुशिष्य अचल मुनि, भरत मुनि एसएस जैन स्थानक शिवपुरी में सुखसाता विराजमान हैं। अचल मुनि महाराज ने कहा कि यदि हमारे पास विवेक शक्ति होगी, तभी हम अच्छा आचरण अपना सकेंगे। उन्होंने कहा कि हम अपनी पांचों इंद्रियों का कैसे उपयोग कर पाते है, परमात्मा ने हमें यह शरीर दिया है। यह केवल भोग विलास के लिए नहीं है। हमें पहले सुनना चाहिए, फिर समझना चाहिए। हर व्यक्ति अपने स्वभाव से ही सोचता है। हम वहीं सुनते है जो हम सुनना चाहते है। उन्होंने आगे कहा कि आज इंसान भगवान को याद करता है, सिर्फ आवश्यकताओं के लिए। जब किसी के समक्ष कोई आवश्यकता खड़ी होती है। उन्होंने कहा कि मानव ही एकमात्र ऐसा प्राणी है, जिसकी वाणी में इतनी शक्ति है कि वह उसके द्वारा अपने ह्दय गत भावों को दूसरों पर व्यक्त करता है। वाणी की मधुरता तथा कर्कशता के द्वारा मनुष्य मित्र को शत्रु तथा शत्रु को मित्र बनाता है। वाणी की शक्ति बेमिसाल है।

भरत मुनि ने कहा कि धर्म किसी मंदिर मस्जिद या तीर्थ भूमि में मिलने वाली वस्तु नहीं है। वह तो आत्मा साधना के माध्यम में परिपोषण किया जाता है। एक महान आचार्य ने धर्म की परिभाषा करते हुए फरमाया कि वस्तु के अपने स्वभाव को धर्म कहा गया है। जैसे अग्नि का स्वभाव ऊष्णता है, तो पानी का स्वभाव शीतलता है तो नमक का स्वभाव खारापन है। उसी प्रकार आत्मा का स्वभाव या धर्म, दया, करुणा, क्षमा, संतोष, शील आदि है। इन सदगुणों में रमण करना ही वास्तव में धर्म है।

chat bot
आपका साथी