जीवन की अच्छाई धन से ही नहीं : अचल मुनि

श्रमण संघीय सलाहकार भीष्म पितामह तपस्वी रत्न गुरुदेव सुमित प्रकाश मुनि म. सा. के सुशिष्य अचल मुनि भरत मुनि के सानिध्य में एसएस जैन स्थानक में सुखसाता विराजमान है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 05:25 PM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 05:25 PM (IST)
जीवन की अच्छाई धन से ही नहीं : अचल मुनि
जीवन की अच्छाई धन से ही नहीं : अचल मुनि

संस, लुधियाना : श्रमण संघीय सलाहकार भीष्म पितामह, तपस्वी रत्न गुरुदेव सुमित प्रकाश मुनि म. सा. के सुशिष्य अचल मुनि, भरत मुनि के सानिध्य में एसएस जैन स्थानक में सुखसाता विराजमान है। रविवार की सभा में गुरुदेव अचल मुनि ने आए श्रावक श्राविकाओं को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन की अच्छाई, धन, दौलत व पहनावा सजावट से नहीं तोली जा सकती। जिदगी का भला तो बुराई से भी भलाई ढूंढ़ निकालने में है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अकबर और बीरबल जा रहे थे। अकबर को मजाक सूझी। अकबर ने कहा देखो बीरबल आज रात को मैंने एक स्वप्न देखा। हम दोनों ही बाहर जा रहे थे। रास्ते में एक अमृत का कुंड था। दूसरा विष का कुंड था। मैं अमृत के कुंड में गिरा और आप विष्ठा के कुंड में गिरे। बीरबल ने कहा बादशाह सलामत मैंने भी आज रात को आपके जैसा ही सपना देखा। बस उसमें अंतर इतना था कि आप मुझे चाट रहे थे और मैं आपको चाट रहा था। बादशाह निरुत्तर हो गया। सम्यक ²ष्टि जीव गंदगी में रहते हुए भी बीरबल की तरह अमृत का पान करता है। दूसरों को सुधारने से पूर्व तुम अपनी ²ष्टि में सुधार कर लो। ²ष्टि को सुधारना ही जीवन की सबसे बड़ी कला है, जिस ये कला आ गई। वह परमात्मा बन गया। इस अवसर पर चेयरमैन साहित्य रत्न डा. मुलख राज जैन, सभाध्यक्ष संघरत्न विनीत जैन, महामंत्री राजीव जैन, कुलदीप जैन, समस्त पदाधिकारी, कार्यकारी एवं सदस्यगण, वर्तमान जैन युवक संघ, जैन मिलन संघ, आत्म जैन सोसायटी शिवपुरी, जैन युवती संघ, वर्धमान जैन युवती संघ के अधिकारी शामिल थे।

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