मित्रता में कभी जाति का भेदभाव नहीं होता : अचल मुनि
भीष्म पितामह गुरुदेव सुमित प्रकाश मुनि महाराज के सुशिष्य श्री अचल मुनि भरत मुनि ठाणा-2 एस एस जैन स्थानक रुपा मिस्त्री गली में सुखसाता विराजमान है।
संस, लुधियाना : भीष्म पितामह गुरुदेव सुमित प्रकाश मुनि महाराज के सुशिष्य श्री अचल मुनि, भरत मुनि ठाणा-2 एस एस जैन स्थानक रुपा मिस्त्री गली में सुखसाता विराजमान है। शुक्रवार की सभा में गुरुदेव अचल मुनि ने अपने प्रवचनों में कहा कि भगवान महावीर ने फरमाया है कि जीव के संस्कार ही उसे शुभ और अशुभ गति की ओर ले जाने वाले होते है। इसलिए संकल्पी हिसा ही मनुष्य की सबसे निकृष्ठ प्रवृति है। इससे बचने वाला महान पद को उपलब्ध हो सकता है। उन्होंने आगे कहा कि मैत्री के अभाव से ही परिवारिक संबंध खराब हो रहे हैं। मित्रता हो तो दूध पानी जैसी हो। जैसे दूध को जब उबाला जाता है, तब सबसे पहले पानी जलता है। तो उस का मित्र दूध उफनने लगता है, बाहर निकलता है। पर पानी के दो छींटे लगने के बाद वो पुन: शांत हो जाता है। मित्रता में कभी जाति का भेदभाव नहीं होता- अमीर, गरीब का फर्क नहीं होता। दोस्ती को कायम रखने के कुछ सूत्र है, दोस्त से कभी बहसबाजी न करो। दोस्तों को सही सलाह व सम्मान दो। अपनी गलती को स्वीकार करो।