सत्य और अहिसा से भरे सदगुणी संत कहलाते हैं: अनुपम मुनि
तपसम्राट श्री सत्येंद्र मुनि महाराज सा. लोकमान्य संत श्री अनुपम मुनि म. सा. मधुरभाषी श्री अमृत मुनि म. सा. विद्याभिलाषी अतिशय मुनि म. सा. ठाणा-4 जैन स्थानक नूरवाला रोड़ में सुखसाता विराजमान है। गुरुदेव अनुपम मुनि ने कहा कि देव अरिहंत सिद्ध गुरु सदगुणी संत और धर्मदया प्रधान की आराधना करनी चाहिए।
संस, लुधियाना : तपसम्राट श्री सत्येंद्र मुनि महाराज सा., लोकमान्य संत श्री अनुपम मुनि म. सा., मधुरभाषी श्री अमृत मुनि म. सा., विद्याभिलाषी अतिशय मुनि म. सा. ठाणा-4 जैन स्थानक नूरवाला रोड़ में सुखसाता विराजमान है। गुरुदेव अनुपम मुनि ने कहा कि देव अरिहंत, सिद्ध गुरु सदगुणी संत और धर्मदया प्रधान की आराधना करनी चाहिए। अरिहंत और सिद्ध भगवान हमारे भगवान है। जिन्होंने आंतरिक आत्मिक शत्रु जैसे काम, क्रोध, मोह, लोभ, राग द्वेष आदि का हनन कर दिया और खत्म कर दिया है। ऐसे अरिहंत देवों को नमस्कार करना चाहिए, यही अरिहंत कहलाते है। गुरु श्री ने आगे कहा कि सिद्ध भगवंतों को नमस्कार करते हुए कहा कि सिद्ध उसे कहते है, जिन्होंने अष्ट कर्मो का खात्मा किया है और संपूर्ण विकारों से एवं शरीर तथा काल से मुक्त हो गए है। उउन्होंने कहा कि सत्य, अहिसा, अचौर्य, ब्रहमचर्य एवं अपरिग्रह धारी और रात्रि भोजन के त्यागी होते है और सदगुणी संत होते है, उन्हें सदुगरु कहते है। उन्होंने कहा कि अहिसा, संयम और तप ही धर्म है। एसएस जैन सभा के महामंत्री अशोक जैन ओसवाल ने कहा जैन स्थानक नूरवाला रोड़ में चातुर्मास की सभा में धर्म के ठाठ लगे हुए हैं।