केवल सच बोलना ही रास्ता नहीं, उस पर चलना भी पड़ता है: अनुपम मुनि

तपसम्राट श्री सत्येंद्र मुनि महाराज सा. लोकमान्य संत श्री अनुपम मुनि म. सा. मधुरभाषी श्री अमृत मुनि म. सा. विद्याभिलाषी अतिशय मुनि म. सा. ठाणा-4 जैन स्थानक नूरवाला रोड़ में विराजमान है। गुरुदेव अनुपम मुनि ने कहा कि चातुर्मास शुरू हो गया है। इन महीनों में अभक्ष ची•ाों का त्याग करना ही चाहिए।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 06:30 PM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 06:30 PM (IST)
केवल सच बोलना ही रास्ता नहीं, उस पर चलना भी पड़ता है: अनुपम मुनि
केवल सच बोलना ही रास्ता नहीं, उस पर चलना भी पड़ता है: अनुपम मुनि

संस, लुधियाना : तपसम्राट श्री सत्येंद्र मुनि महाराज सा., लोकमान्य संत श्री अनुपम मुनि म. सा., मधुरभाषी श्री अमृत मुनि म. सा., विद्याभिलाषी अतिशय मुनि म. सा. ठाणा-4 जैन स्थानक नूरवाला रोड़ में विराजमान है। गुरुदेव अनुपम मुनि ने कहा कि चातुर्मास शुरू हो गया है। इन महीनों में अभक्ष ची•ाों का त्याग करना ही चाहिए। बाहर के खाद्य पदार्थों का त्याग करना चाहिए, क्योंकि बाहर की वस्तुएं जयणापूर्वक तैयार नहीं होती, सूक्ष्म जीवों का ख्याल नहीं रखा जाता। उन्होंने कहा कि केवल सच बोलना ही रास्ता नहीं है। उसके मार्ग पर चलना भी पड़ता है, धरती पर तो आधुनिक युग में सत्य की पहचान कम ही है, जो सच्च बोलता है, उसका अनादर ही होता है, प्रभु के द्वार में उसको इसका अच्छा परिणाम ही मिलता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन दुर्लभ है, ऐसे महान पुण्य से मिले जीवन के अनमोल क्षणों को व्यर्थ की बातों में गंवाने वाले न बने। उन्होंने आगे कहा कि ये मेरा नहीं, महान भारतीय संस्कृति व भगवान महावीर के अहिसा दर्शन का सम्मान है। धर्म हमें जोड़ना सिखाता है, तोड़ना नहीं। धर्म के क्षेत्र में हिसा घृणा भय व नफरत का कोई स्थान नहीं है। आज अपेक्षा है धर्म को आध्यात्म विज्ञान व समाज सेवा से जोड़ा जाएं।

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