अहंकार जीवन को कठोर बना देता है: रचित मुनि

एसएस जैन स्थानक जनता नगर में विराजित श्री जितेंद्र मुनि के सानिध्य में मधुर वक्ता श्री रचित मुनि ने एक के दृष्टांत के द्वारा अपनी बात को कहना प्रारंभ किया कि इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया पति प्रिस के बीच कहासुनी हो गई दोनों के बीच इतना तकरार हो गया कि एक दूसरे की शक्ल देखना भी पसंद नहीं करते।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 07:35 PM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 07:35 PM (IST)
अहंकार जीवन को कठोर बना देता है: रचित मुनि
अहंकार जीवन को कठोर बना देता है: रचित मुनि

संस, लुधियाना : एसएस जैन स्थानक जनता नगर में विराजित श्री जितेंद्र मुनि के सानिध्य में मधुर वक्ता श्री रचित मुनि ने एक के दृष्टांत के द्वारा अपनी बात को कहना प्रारंभ किया कि इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया पति प्रिस के बीच कहासुनी हो गई दोनों के बीच इतना तकरार हो गया कि एक दूसरे की शक्ल देखना भी पसंद नहीं करते। आखिर रोज-रोज के क्लेश से महारानी विक्टोरिया परेशान होकर महल से दूसरे महल में चली गई, कुछ दिन बीते फिर पति की यादें सताने लगी यादें आने लगी चल पड़ी जिस महल में पतिदेव थे पहुंच गई द्वार पर, लेकिन द्वार बंद मिला दरवाजा खटखटाया अंदर से आवाज आई कौन? मैं हूं इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया रानी ने अभिमान भरे शब्दों में कहां, न खुला गेट- दो तीन बार ऐसे हुआ पर न खुला गेट। फिर खटखटाया आवाज आई कौन? अब महारानी के शब्दों में चेंज था बोली मैं हूं तुम्हारी पत्नी विक्टोरिया तुरंत खुल गया गेट। इसी प्रकार जब अहंकार गिर जाता है, अभिमान गिर जाता है तब परमात्मा का द्वार खुल जाता है। जब बीज टूटता है तभी वृक्ष अंकुरित होता है, जब जब हम परमात्मा के द्वार पर अहंकार को लेकर जाते हैं तब तब परमात्मा का द्वार हमे सदा बंद मिलेगा। तो जो अहंकार अभिमान, अहम, से भरे हैं उनके लिए परमात्मा का द्वार बंद, और जो अहंकार से पूर्णत: है रिक्त होते हैं परमात्मा का द्वार उनके लिए सदा खुला रहता है।

इस दौरान हिमाचल रत्न श्री जितेंद्र मुनि ने अति दुर्लभ मनुष्य भव बताया विशुद्धि होते होते जब महान पुण्य का उदय होता है तब मनुष्य भव की प्राप्ति होती है । मनुज जन्म अनमोल रे, मिट्टी में मत रोल रे अब के मिला है फिर न मिलेगा कभी नहीं कभी नहीं कभी नहीं।

chat bot
आपका साथी