आज के कर्म ही कल के पुण्य-पाप हैं : साध्वी रत्न संचिता
एसएस जैन स्थानक सिविल लाइंस में तपचंद्रिका श्रमणी गौरव महासाध्वी वीणा महाराज ठाणा-5 सुखसाता विराजमान हैं। सभा में साध्वी रत्न श्री संचिता महाराज ने नवकार महामंत्र का उच्चारण करते हुए कहा पुण्य पाप कर्ता हम स्वयं ही है।
संस, लुधियाना : एसएस जैन स्थानक सिविल लाइंस में तपचंद्रिका श्रमणी गौरव महासाध्वी वीणा महाराज ठाणा-5 सुखसाता विराजमान हैं। सभा में साध्वी रत्न श्री संचिता महाराज ने नवकार महामंत्र का उच्चारण करते हुए कहा पुण्य पाप कर्ता हम स्वयं ही है। आज का अच्छा या बुरा कर्म आने वाले कल का पुण्य या पाप है। भगवान महावीर का कर्म सिद्धांत यही कहता है कि सुख दुख जो मिल रहा है, वह किसी का दिया हुआ नहीं है, बल्कि हमारा ही किया हुआ है। अत: किसी को दोष मत दो। देवी और देवता भी किसी का भाग्य बदलने में समर्थ नहीं है। यदि किसी का पुण्योदय हो तो भले ही वे निमित्त कारक बन जाए, पर किसी के भाग्य बदलने या बनाने की सामर्थता देव में भी नहीं है। काधला यूपी कस्बे की घटना का हवाला देते हुए कहा कि एक व्यक्ति ने कई दिन तक लक्ष्मी की उपासना की। लक्ष्मी प्रकट होकर बोली मैं धन की देवी हूं,। धन का पहाड़ तैयार कर सकती हूं। पर अभी तुम्हारा अंतराय कर्म उदय है। वह धन तुम्हें दे भी दूं, पर तुमको वह काम नहीं आएगा।
इस अवसर पर एसएस जैन सभाध्यक्ष अरिदमन जैन, चातुर्मास कमेटी चेयरमैन जितेंद्र जैन, सीनियर उपाध्यक्ष सुभाष जैन महावीर, महामंत्री प्रमोद जैन, नीलम जैन कंगारु, कोषाध्यक्ष रजनीश जैन गोल्ड स्टार, मोती लाल जैन, विनोद जैन गोयम, संजय जैन, वैभव जैन व समस्त कार्यकारिणी सदस्यगण शामिल थे।