आत्मा को परमात्मा बनाने के लिए श्रद्धा जरूरी : साध्वी रत्न संचिता
एसएस जैन स्थानक सिविल लाइंस में महासाध्वी वीणा महाराज साध्वी रत्न संचिता महाराज ठाणा-5 सुखसाता विराजमान है। आज की सभा में गुरुणी संचिता महाराज ने कहा कि आत्मा को परमात्मा बनाने के लिए श्रद्धा का होना जरूरी है। सच्चा ज्ञान प्राप्त करने के लिए सच्ची श्रद्धा का होना आवश्यक है। जिसके हृदय में सच्ची श्रद्धा नहीं है उसका मन पारे की तरह चंचल बना रहता है। वह कभी एक साधन को अपनाता है और कभी दूसरे को।
संस, लुधियाना : एसएस जैन स्थानक सिविल लाइंस में महासाध्वी वीणा महाराज, साध्वी रत्न संचिता महाराज ठाणा-5 सुखसाता विराजमान है। आज की सभा में गुरुणी संचिता महाराज ने कहा कि आत्मा को परमात्मा बनाने के लिए श्रद्धा का होना जरूरी है। सच्चा ज्ञान प्राप्त करने के लिए सच्ची श्रद्धा का होना आवश्यक है। जिसके हृदय में सच्ची श्रद्धा नहीं है, उसका मन पारे की तरह चंचल बना रहता है। वह कभी एक साधन को अपनाता है और कभी दूसरे को। परिणाम यह होता है कि उसके विचारों में स्थिरता नहीं आती तथा उसकी क्रियाएं भी समुचित रुप ग्रहण नहीं कर पाती। बडे़ से बड़ा ज्ञान भी अगर उसमें श्रद्धा नहीं है तो वह संसार सागर में डुबकियां लगाता रहता है और उसके ज्ञान का कोई मूल्य नहीं होता। ज्ञान की सारी शक्ति श्रद्धा से निहित है। श्रद्धावान ही संसार सागर को तैर कर पार हो जाता है।
इस अवसर पर मुकेश मुनि ने कहा कि संसार में कोई भी कार्य भाव के बिना संपन्न नहीं हो पाता। अनायास, संयोग मात्र से, बिना किसी इरादे या भाव के जो कार्य हो जाता है। उसका श्रेय भार कर्ता पर कदापि नहीं माना जा सकता। उपवास एक साधना है। फलदायी साधना है, कितु उपवास का फल तो तभी प्राप्त होगा, जब उसे भाव सहित अपनाया जाए। इस अवसर पर सभाध्यक्ष अरिदमन जैन, चातुर्मास कमेटी चेयरमैन जितेंद्र जैन, सीनियर उपाध्यक्ष सुभाष जैन महावीर, महामंत्री प्रमोद जैन, कोषाध्यक्ष रजनीश जैन गोल्ड स्टार, मोती लाल जैन, विनोद जैन गोयम, संजय जैन, वैभव जैन व समस्त कार्यकारिणी सदस्यगण शामिल थे।