धर्म के संचार के लिए मन से गांठ निकालना जरूरी : साध्वी रत्न संचिता

एसएस जैन स्थानक सिविल लाइंस के तत्वाधान में तपचंद्रिका श्रमणी गौरव सरलमना महासाध्वी गुरुणी मैयां वीणा महाराज सा. ठाणा-5 के सानिध्य में चातुर्मास सभा जारी है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 27 Sep 2021 07:14 PM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 09:35 PM (IST)
धर्म के संचार के लिए मन से गांठ निकालना जरूरी : साध्वी रत्न संचिता
धर्म के संचार के लिए मन से गांठ निकालना जरूरी : साध्वी रत्न संचिता

संस, लुधियाना : एसएस जैन स्थानक सिविल लाइंस के तत्वाधान में तपचंद्रिका श्रमणी गौरव सरलमना महासाध्वी गुरुणी मैयां वीणा महाराज सा. ठाणा-5 के सानिध्य में चातुर्मास सभा जारी है। इस अवसर पर प्रवचन प्रभाविका साध्वी रत्न संचिता महाराज ने कहा कि क्षमा दान का आध्यात्मिक जीवन में तो बहुत अधिक महत्व है कि व्यावहारिक जीवन में भी बहुत महत्व है। जब तक क्षमा दान नहीं दिया जाता। ह्दय की गांठ नहीं खुलती और गठीला आदमी, ह्दय की गांठ वाला मनुष्य संसार में कहीं भी आदर नहीं पा सकता। गांठ वाली लकड़ी का न तो कोई फर्नीचर बन सकता है न बांसुरी और न ही अच्छी वस्तु। जिस चीज में गांठ होती है, उसे अशुभ मानते है। शरीर में अगर गांठ होती है तो डाक्टर उसे रसोली कहते है और आप्रेशन द्वारा निकाल देते है। शरीर की गांठ निकलने पर ही शरीर में शांति और चैन मिल सकती है। मन और आत्मा में जब तक गांठ लगी है तब तक धर्म का संचार नहीं हो सकता। इसलिए भगवान महावीर स्वामी ने कहा कि वह आराधक भी नहीं हो सकता। जो कषाय का, क्रोध का उपशम नहीं करता, वह धर्म का आराधक नहीं है और जो क्रोध करता है, उसकी आराधना नहीं होती। जो क्रोध आदि का उपशम करता है, खमत-खमाणा करता है वहीं आराधक होता है।

इस दौरान विशेष होशियारपुर से गुरुणी जी के संसारिक परिवार सुश्रावक दीपक जैन अपने सपरिवार सहित गुरुणी जी के चरणों में उपस्थित हुए। नाहर परिवार से अनिल, अरुण जैन, नीरज जैन , पीयूष जैन, दीपक जैन सपरिवार शामिल थे।

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