आत्मा ज्ञान का प्रकाश ही सर्वोत्तम : अचल मुनि
एसएस जैन सभा शिवपुरी के तत्वाधान में मधुर वक्ता अचल मुनि भरत मुनि सुखसाता विराजमान है। आज की सभा में अचल मुनि महाराज ने कहा कि कभी भी नकारात्मक विचारों को हावी होने मत देना क्योंकि समुद्र का पूरा पानी एक जहाज को तब तक नहीं डुबो सकता जब तक वह उसके अंदर प्रवेश नहीं करता।
संस, लुधियाना : एसएस जैन सभा शिवपुरी के तत्वाधान में मधुर वक्ता अचल मुनि, भरत मुनि सुखसाता विराजमान है। आज की सभा में अचल मुनि महाराज ने कहा कि कभी भी नकारात्मक विचारों को हावी होने मत देना, क्योंकि समुद्र का पूरा पानी एक जहाज को तब तक नहीं डुबो सकता, जब तक वह उसके अंदर प्रवेश नहीं करता। जब तक आप स्वयं उसे मन में नहीं लेते। उन्होंने आगे कहा कि एक बार राज दरबार में चर्चा चल-सबसे बड़ा प्रकाश किस का होता है। एक दरबारी बोला, चंद्रमा का प्रकाश सबसे बड़ा और महत्व पूर्ण होता है। दीपक का प्रकाश सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण होता है, वहां पर एक अनुभवी ज्ञानी व्यक्ति भी बैठा था। वह बोला-आत्मा ज्ञान का प्रकाश ही सर्वोत्तम प्रकाश माना गया, जो प्रकाश जप, तप, साधना करने से, कर्मों के पर्दा आत्मा से दूर होने पर प्राप्त होता है। ज्ञान का प्रकाश होने के बाद फिर आत्मा भटकती नहीं, संसार में अटकती नहीं। कर्म की आठ है। आठ कर्म टूट जाने पर आत्मा में आठ गुण उत्पन्न होते है। आठवां अंग सूत्र अन्तगढ़ की वाचना की जाती है। इस अवसर पर विनीत जैन, राजीव जैन, सतीश जैन पब्बी, कुलदीप जैन, आदि शामिल थे।