मन की मंगल भावना ही हमेशा मंगलमय बनाती है: मुनि भूपेंद्र कुमार
जब तक हमारे मन के अंदर मंगल भावनाएं जागृत नहीं होती है तब तक हम विदाई भी मंगलमय प्रदान नहीं कर सकते हैं। जब हमारे जीवन के अंदर मंगल भावना जागृत होती है। तब अपने आप ही हमारी विदाई है। वह मंगलमय होनी प्रारंभ हो जाती है।
संस, लुधियाना : जब तक हमारे मन के अंदर मंगल भावनाएं जागृत नहीं होती है, तब तक हम विदाई भी मंगलमय प्रदान नहीं कर सकते हैं। जब हमारे जीवन के अंदर मंगल भावना जागृत होती है। तब अपने आप ही हमारी विदाई है। वह मंगलमय होनी प्रारंभ हो जाती है। उपरोक्त विचार अपने चातुर्मास प्रवास संपन्न करने के पश्चात ओमेक्स सभागार में अपनी विदाई समारोह पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए मुनि भूपेंद्र कुमार ने व्यक्त किए।
उन्होंने आगे कहा आज आप केवल मेरे को विदाई नहीं दे रहे है , अपितु मेरे पूरे जीवन को ही विदाई दे रहे है। मृत्यु के बाद के अंदर पुनर्जन्म है। वह अवश्य ही होता है। मेरे को लगता है। अब जो मैं साधना के पथ पर आगे बढ़ रहा हूं। मेरा पुनर्जन्म बहुत ही जल्दी होने वाला है। आपकी मंगल भावना अवश्य ही मेरी साधना को और ज्यादा प्रभावशाली बनाएगी। इस अवसर पर मुख्य अतिथि स्थानीय विधायक दर्शन सिंह शिवालिक ने कहा मैंने अपने जीवन के अंदर हमेशा ही मंगलकारी है, वह बनने का प्रयास किया है और आज मेरे को मंगल विदाई समारोह में उपस्थित होने का अवसर प्राप्त हुआ है। वास्तव में संतों की विदाई है और ज्यादा मंगलकारी रहेगी। इस दौरान तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष धीरज सेठिया ने कहा मेरे जीवन का यह अनमोल क्षण है। मेरे को मुनि प्रवर के सानिध्य के अंदर मेरी पूरी टीम के साथ के अंदर काम करने का अवसर प्राप्त हुआ। मैं पूरी टीम वर्क की तरफ से मुनि प्रवर को मंगलमय भावों के साथ में विदाई प्रदान कर रहा हूं। इस दौरान उर्वशी चोपड़ा, इन्दु सेठिया,श्रद्धा दुग्गड़, तेरापंथ महिला मंडल ओमेक्स द्वारा मंगल गीत द्वारा अपने भाव व्यक्त किए। मंच संचालन तेरापंथ सभा के मंत्री मनोज धारीवाल ने किया।
इस अवसर पर रीना जैन, प्रतीक कोचर, तरुण सुराणा, कुलदीप सुराणा, विनोद देवी सुराणा, अभय राज सिघी, साजल जैन ने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी।उपस्थित सभी लोगों ने आगामी यात्रा के लिए व साधना के शिखरों पर आरूढ़ होने की मंगल कामना व्यक्त करते हुए मुनि प्रवर को अपनी तरफ से मंगल में विदाई प्रदान की।