पति-पत्नी के प्रेम व अटूट बंधन का प्रतीक करवाचौथ 24 को
करवाचौथ उत्तर भारत में मनाया जाने वाला एक अत्यंत महत्वपूर्ण एवं लोकप्रिय उत्सव है। यह त्योहार पति-पत्नी के प्रेम एवं अटूट बंधन का प्रतीक है। यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है।
संस, लुधियाना : करवाचौथ उत्तर भारत में मनाया जाने वाला एक अत्यंत महत्वपूर्ण एवं लोकप्रिय उत्सव है। यह त्योहार पति-पत्नी के प्रेम एवं अटूट बंधन का प्रतीक है। यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस वर्ष 24 अक्टूबर को करवाचौथ है। करवाचौथ के व्रत को निर्जला व्रत के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सुहागिन स्त्रियां अपने पतियों की सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं दीर्घायु के लिए व्रत रखती है। इस पर्व के साथ जुड़ी प्राचीन दंत कथाएं भारतीय स्त्रियों के अपने पतियों के लिए पूर्ण समर्पण एवं शाश्वत प्रेम को दर्शाती है। इनमें से दंत कथा एक सुंदर रानी वीरवती के बारे में आज भी सर्व प्रचलित है। अपने प्रेम, दृढ़ निश्चय एवं संकल्प द्वारा चमत्कारिक ढंग से इस व्रत के प्रभाव से रानी वीरवती ने अपने पति का जीवन पार्वती मां से पुन प्राप्त किया। आधुनिक समय में बहुत सारे पुरुष भी अपनी पत्नियों के लिए व्रत रखते है। समानता, समर्पण एवं तालमेल की इस भावना ने इस पर्व की महत्ता को ओर अधिक बढ़ा दिया है।
प्रस्तुति :- रेखा जैन