पवित्र हृदय ही धर्म का आधार : साध्वी मुक्ता

एसएस जैन स्थानक सभा 39 सेक्टर के तत्वाधान में महासाध्वी डा. पुनीत ज्योति म. के सानिध्य में चातुर्मास सभा जारी है। इस अवसर पर साध्वी मुक्ता महाराज ने कहा कि धर्म का अधिकारी कौन धर्म का विस्तार एवं विवेचन करने से पूर्व एक बात और समझ लेनी है और वह यह कि जिस धर्म का हम वर्णन कर रहे है। उस धर्म अधिकारी से हमारा अभिप्राय योग्यता से है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 07:14 PM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 07:14 PM (IST)
पवित्र हृदय ही धर्म का आधार : साध्वी मुक्ता
पवित्र हृदय ही धर्म का आधार : साध्वी मुक्ता

संस, लुधियाना : एसएस जैन स्थानक सभा 39 सेक्टर के तत्वाधान में महासाध्वी डा. पुनीत ज्योति म. के सानिध्य में चातुर्मास सभा जारी है। इस अवसर पर साध्वी मुक्ता महाराज ने कहा कि धर्म का अधिकारी कौन धर्म का विस्तार एवं विवेचन करने से पूर्व एक बात और समझ लेनी है और वह यह कि जिस धर्म का हम वर्णन कर रहे है। उस धर्म अधिकारी से हमारा अभिप्राय योग्यता से है। पात्रता से नहीं। किसी भी वस्तु को प्राप्त करने से पूर्व उसके योग्य बना जाता है। आज से लगभग वर्षो पूर्व भगवान महावीर के समक्ष एक बार यही प्रश्न उपस्थित हुआ था। इसके उत्तर में कहां गया-प्रभु ने कहा धर्म शुद्ध ह्दय में ठहरता है। इस छोटे से पद में जो बात कही गई है। उसका विस्तार लाखों पदों में हो सकता है। मैं तो समझता हूं संपूर्ण जिन प्रवचन का सार इस एक पद में समाविष्ट हो गया है। उन्होंने आगे कहा कि पवित्र ह्दय ही धर्म का आधार है। इस लिए ह्दय को पवित्र बनाने के लिए सत्संग का सहयोग लेना पड़ता है। अंदर की खोट निकलती है, फिर उसी प्रकार ह्दय ह्दय पवित्र हो जाता है। जैन इतिहास कार तो कहते है कि बराबर अगर संत वाणी को सूने तो ह्दय पवित्र के साथ ही आत्मा का कल्याण हो सकता है। जैसे दूध को लेने के लिए पात्र साफ चाहिए। उसी प्रकार धर्म को जानने के लिए ह्दय जैसा पात्र साफ होना चाहिए, कहां गया है कि जिस का ह्दय पवित्र होता है, उस ह्दय कमल में प्रभु की मुख एवं चेहरा दिखता है। कहा भी गया है। परमात्मा है सभी की आत्मा में। परमात्मा वास होता है, पर अपने ही कारण अपनी गलतियों के कारण अंदर छिपे परमात्मा के अंदर दर्शन नहीं होते है। उन्होंने आगे कहा कि संतों का काम कहने का है, उस पर सोचने का काम आपका है।

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