ज्ञान को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर करता है चातुर्मास

कृष्ण गोपाल लुधियाना चतारि परयगाणि दुल्लहाणीह जंतुणो माणुसत्तं सुईसद्धा संजम्मिमय वीरियं

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 06:22 AM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 06:22 AM (IST)
ज्ञान को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर करता है चातुर्मास
ज्ञान को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर करता है चातुर्मास

कृष्ण गोपाल, लुधियाना : चतारि परयगाणि, दुल्लहाणीह जंतुणो, माणुसत्तं सुईसद्धा संजम्मिमय वीरियं, अर्थात मनुष्य प्राणियों को मनुष्य जन्म, श्रृति या धर्म का सुनना, सम्यक, श्रद्धा और संयम में पुरुषार्थ, ये उत्तम संयोग दुर्लभ है। मानव जीवन ऐसा जीवन है जिससे धर्म का पालन संभव है। पशु, पक्षी, कीडे़ मकौडे़ कभी दान नहीं दे सकते। वे कभी दूसरों की सेवा सहयोग नहीं कर सकते। नारकीय जीवन में भी धर्म को आचरण में लाया जा सकता है। पशु हमेशा से पशु ही बना रहा है, हर कोई देव भी बन सकता है, आवश्यकता मात्र अपने धर्म के पालना की है। धर्म पालन की शक्ति भी मानव को ही मिली है, यह चार माह धर्म के पालना की है। चातुर्मास का उद्देश्य भी यही है कि जप, तप व स्वाध्याय के संगम में धर्म की ओर अग्रसर हो। भावना के बिना जीवन में आचरण नहीं आ सकता

सिकदर लाल जैन, रमेश जैन स्वास्तिक, मुकेश जैन ने कहा कि प्रभु महावीर ने कहा कि धर्म की पालना गरीब से गरीब भी कर सकता है। धर्म पालना के लिए धन नहीं दिल और भावना की जरुरत है। भावना के बिना आचरण जीवन में नहीं आ सकता। आचरण आये बिना जीवन महल कभी ऊंचा उठ नहीं सकता। आचरण मिश्री में मिठास के समान है, फूल में खुशबू के समान है। धर्म का पालन करने से आदमी इंसान बनता है

कुणाल जैन, मनोज जैन, विपन जैन, धीरज सेठिया ने कहा कि धर्म से आदमी इंसान बनता है। जो धर्म को ग्रहण नहीं करता, वह मनुष्य पशु के समान है। मनीषियों ने कहा कि धर्मेण हीन: पशुभि: समाना, संसार में जितने भी प्राणी है, उन सबमें श्रेष्ठ प्राणी का सम्मान केवल मनुष्य को ही मिला है। इस चार माह की बेला चातुर्मास में धर्म को अधिक से अधिक ग्रहण करना चाहिए। मानव अपने स्वभाव का परिवर्तन धर्म से ही कर सकता है।

गुरु और शिष्य के मिलन का जरिया है चातुर्मास

जोगिदर पाल जैन, वरुण जैन ग्लौरी, राज कुमार स्वास्तिक ने कहा कि जीवन एक नैया है उसे सतगुरु ही पार लगा सकते है। इस संसार में सतगुरु की महिमा का वर्णन ऋषि-मुनियों ने अपने मुखारविद से समय-समय पर किया है। सतगुरु को ब्रह्म, विष्णु और महेश से भी श्रेष्ठ बतलाया गया है। जो शक्ति गुरु में होती है, वैसी शक्ति दुनियां में किसी में नहीं है। जिसे गुरु मिल जाते है, उसका जीवन बदल जाता है। यह चातुर्मास गुरु शिष्य का मिलन है।

chat bot
आपका साथी