तप, अहिसा व सत्यमार्ग को प्रेरित करते है प्रभु महावीर...
कृष्ण गोपाल लुधियाना तप अहिंसा सत्यमार्ग का नारा देने वाले प्रभु महावीर ने अपनी वाणी से सभी
कृष्ण गोपाल, लुधियाना : तप, अहिंसा, सत्यमार्ग का नारा देने वाले प्रभु महावीर ने अपनी वाणी से सभी को समान समझा, चाहे वो कोई भी जात-पात का हो। भगवान महावीर के सद्मार्ग पर चलना कठिन है, लेकिन असंभव नहीं है। कइयों ने उनका रास्ता अपनाकर साधु-संत बनकर श्रावक- श्राविकाओं का मार्गदर्शक दिया। उनपर जैन समुदाय ने अपने भावपूर्ण विचार दिए :-
मनुष्य जीवन में मोक्ष व ज्ञान की प्राप्ति का प्रयास संभव...
फूलचंद जैन, नरेंद्र जैन, कुशल जैन, सुशील जैन ने कहा कि मनुष्य जीवन बहुत ही कठिनाइयों के बाद प्राप्त होता है, जिसे व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए। शरीर के स्वास्थ्य रहते मनुष्य को मोक्ष और ज्ञान की प्राप्ति के लिए प्रयास करना चाहिए। प्रत्येक मनुष्य को अपने जीते जी और स्वास्थ्य रहते ज्ञान की प्राप्ति करनी चाहिए, जो मोक्ष का द्वार खोलती है।
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परमात्मा निरंकार है, उसका कोई आकार नहीं....
रिचा जैन, अशोक जैन, मोहित जैन ने कहा कि जिस उद्देश्य से मनुष्य की देह को इस संसार पर भेजा गया था, वह उसे भूलकर माया के जाल में फिर से फंस जाता है। जीव लालच में आकर ज्ञान की प्राप्ति नहीं करता, जिससे मोक्ष पदवी मिलना संभव नहीं है। परमात्मा निरंकार है, उसका कोई आकार नहीं है। वह हर स्थान जगह और कण कण में विद्यमान है। इसलिए प्रभु महावीर का स्मरण करे।
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अपने आप में जो राजी, वह सुखी...
मंधीर जैन, भूषण जैन, रित्रि सागर जैन ने कहा कि महावीर का कथन है कि ये नहीं कि जहां से भी आए, जैसे भी आए, पैसा आना चाहिए। इच्छा, लोभ, लालच, उनका कोई अंत नहीं है। आज हर आदमी दूसरे जैसा होना चाहता है, पर आप अपने आप में राजी चाहिए। यही सोच मेरी रही। संसार का प्रत्येक व्यक्ति हिसक हो जाए तो समाज का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा।