अहिसा तो जीवन है.. ये सिर्फ शब्द नहीं, सिद्धांत है

अहिसा तो जीवन है। दुनिया में सब कुछ अहिसा के लिए तो है। चौराहे पर लाल बत्ती है तो वह अहिसा के लिए है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 18 Apr 2021 07:09 AM (IST) Updated:Sun, 18 Apr 2021 07:09 AM (IST)
अहिसा तो जीवन है.. ये सिर्फ शब्द नहीं, सिद्धांत है
अहिसा तो जीवन है.. ये सिर्फ शब्द नहीं, सिद्धांत है

कृष्ण गोपाल, लुधियाना : अहिसा तो जीवन है। दुनिया में सब कुछ अहिसा के लिए तो है। चौराहे पर लाल बत्ती है तो वह अहिसा के लिए है। पुलिस और जज है तो वह अहिसा के लिए हैं। भगवान महावीर का संदेश अहिसा केवल शब्द नहीं, गहरा सिद्धांत है। भगवान महावीर ने कहा संसार वासनाओं, इच्छाओं, कामनाओं का संसार है। संसार के लोग इन्हीं इच्छाओं में उलझे पडे़ हुए है, पर ये इच्छाएं कभी पूरी नहीं होती। भले ही संसार में कितने ही दुख क्यों न झेलने पडे़, फिर भी संसार को छोड़ने को वह मन तैयार नहीं होता। थोड़ा संसार को भी बाय बाय कीजिए।

कर्ता के कर्म स्वयं ही उसे फल देते है

संजय जैन बरनाला, राकेश जैन जगराओ, नरभूषण जैन ने कहा कि भगवान महावीर ने कहा था कि प्राणी स्वयं ही अपने कर्मों का कर्ता तथा भोक्ता है। कर्म का फल देने के लिए बाहर से कोई सत्ता नहीं आती। अत: कर्ता के कर्म स्वयं ही उसे फल देते हैं। प्रत्येक प्राणी को अपने कर्मो को शुभ दिशा की ओर मोड़ना चाहिए। कर्म करने के पश्चात फल भोगते समय कोई जीव को नहीं बचा सकता। आओ, महावीर जयंती पर शुभ कर्म करने का संकल्प करे।

अहिसा परमोधर्म, अपरिग्रह के मार्ग पर चलेगे तो हमेशा सुख-शांति मिलेगी

कमल जैन, मयंक जैन, गिरधारी लाल जैन ने कहा कि अशांत जन मानस को भगवान महावीर की पवित्र वाणी ही परम सुख व शांति प्रदान कर सकती है। यदि आज संसार के लोग महावीर के अहिसा परमोधर्म, अपरिग्रह के मार्ग पर चलेंगे तो हमेशा ही सुख व शांति हासिल करेंगे। महावीर सीधा कर्म पर विश्वास रखते थे। कर्म जैसा करोगे, फल भी वैसा ही मिलेगा। इसलिए स्वामी जी ने कर्म की प्रधानता को प्रमुखता रखा है।

महावीर ने संवादवाद, उपेक्षावाद, अनेकांतवाद पर बल दिया

विपन विनायक, अमित जैन, विपुल जैन, हर्ष जेटली ने कहा कि भगवान महावीर के संदेश, उपदेश और गवेषणाएं आधुनिक युग में भी उतनी ही महत्वपूर्ण है, जितनी पहले थी। आधुनिक युग की आपाधापी में मनुष्य अशांत होकर जीवन यापन कर रहा है। यदि वह भगवान महावीर के मर्यादा के मार्ग पर चलेगा तो वह अपना जीवन सुख शांति से व्यतीत कर लेगा। उनका जीवन उतना ही सादा व सरल था। उसमें विविधताओं के लिए स्थान नहीं था।

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