सरल ह्मदय में धर्म का निवास होता है : मुनि पीयूष
सिविल लाइंस जैन स्थानक में उप-प्रवर्तक पीयूष मुनि म. ने पर्यूषण पर्व के सातवें दिन अति मुक्त मुनि के प्रसंग के आधार पर ऊपर से नीचे तक खचाखच भरे सभागार में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि सरलता से आत्मा के वास्तविक स्वरुप को पाया जा सकता है।
संस, लुधियाना : सिविल लाइंस जैन स्थानक में उप-प्रवर्तक पीयूष मुनि म. ने पर्यूषण पर्व के सातवें दिन अति मुक्त मुनि के प्रसंग के आधार पर ऊपर से नीचे तक खचाखच भरे सभागार में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि सरलता से आत्मा के वास्तविक स्वरुप को पाया जा सकता है। कुटिलता जीवन का बहुत बड़ा दोष है। झूठ के साथ इसका सीधा संबंध रहता है। मायावी दूसरों को ठगने तथा धोखा देने में बहुत होशियार होता है। वह मन में कुछ सोचता है, वाणी से कुछ बोलता तथा शरीर से कुछ और कर गुजरता है। शरीर को सुखा लेने पर भी यदि भीतर कपट है। तो उसे अनंत काल तक संसार में भटकना पड़ता है। जो इन्द्रियों के शब्द, रूप, रस व स्पर्श के लिए सारी क्रियाएं करता है। वह बगुला भक्त है। धर्म का स्थान शुद्ध ह्मदय ही है। धर्म किसी क्रिया कांड में नहीं रहता और किसी धर्म स्थान में उसका ठिकाना नहीं। जो व्यक्ति मन का सरल है, उसी का ह्मदय शुद्ध है। और वही धर्म का निवास होता है। वही धीरे-धीरे निर्वाण को प्राप्त करता है। और उसकी आत्मा प्रकाश मान होती जाती है। माया जीवन के प्रत्येक कार्य में हानि पहुंचाती है तथा व्यक्ति किसी का भी विश्वास पात्र नहीं बनता। कठोर भाषी निष्कपट है। मुनि श्री ने कहा कि छल कपट करने वाले लोग अपने पारिवारिक जीवन में भी छल कपट करके, गृह जीवन की एकता को भंग कर लेते हैं, क्योंकि कपट आपसी प्रेम के लिए कैंची का काम करता है। सामाजिक दृष्टि से ऊंची भूमिका पर पहुंचने के लिए लोग अनेक हथकंडे अपनाते है। परंतु फिर भी वे जनमानस का विश्वास प्राप्त नहीं कर पाते। कपटी अपने मकड़ जाल में फंस जाता है। माया परलोक भी बिगाड़ती है। और लोक को भी खराब कर देती है। मन के पवित्र व्यक्ति को कोई भय नहीं होता। कपटी को भय सताता है। इस अवसर पर भारी संख्या में श्रावक श्राविकाओं ने व्रतों, आयम्बिलों और एकाशनों के प्रत्याख्यान लिए। तपस्या की रौनक तथा बहार दर्शनीय है।