फिट रहने के लिए रोज सुबह एक घंटा योग करते हैं एवन साइकिल्स के प्रबंध निदेशक पाहवा, साइकिल से घूमते हैं फैक्ट्री
उद्योग जगत में लुधियाना के ओंकार सिंह पाहवा का नाम जितना बड़ा है उनका जीवन उतना की सरल है। सबसे प्यार से बात करते हैं। चकाचौंध और पार्टियों से दूर रहकर परिवार के साथ समय बिताते हैं। खुद को फिट रखने के लिए रोज सुबह एक घंटा योग करते हैं।
लुधियाना [मुनीश शर्मा]। ओंकार सिंह पाहवा उद्योग जगत का एक जाना पहचाना नाम। देश की सबसे बड़ी साइकिल निर्माता कंपनियों में से एक एवन साइकिल्स के प्रबंध निदेशक हैं। साइकिल से सफर शुरू कर आसमान को छुआ है। कई देशों में साइकिल का निर्यात होता है। उद्योग जगत में ओंकार सिंह पाहवा का नाम जितना बड़ा है उनका जीवन उतना की सरल है। सबसे प्यार से बात करते हैं। चकाचौंध और पार्टियों से दूर रहकर परिवार के साथ समय बिताते हैं। खुद को फिट रखने के लिए रोज सुबह एक घंटा योग करते हैं। पोतों के साथ बैडमिंटन कोर्ट में पसीना बहाने से नहीं चूकते। फैक्ट्री बहुत बड़ी है ऐसे में अंदर का राउंड लगाने के लिए हमेशा साइकिल पर निकलते हैं। पाहवा साइक्लिंग के अलावा महंगी कारों और रेखी सिनेमा रोड स्थित फ्रैंड्स ढाबे की माह की दाल के शौकीन हैं। पहले दोस्तों और परिवार के साथ वहां जाते थे। आज भी कई बार वहां से दाल मंगवाकर खाते हैं। खुद को पार्टियों की चकाचौंध से दूर रहते हैं। अधिकतर समय परिवार के साथ बिताना पसंद करते हैं। परिवार के साथ घर पर ही फिल्म देखना उन्हें पसंद है। वीकएंड पर पूरा दिन घर पर ही रहते हैं। लाकडाउन में भी बच्चों के साथ कैरम, बैडमिंटन और टेबल टेनिस खेल रहे हैं।
सादे कपड़े पहनने वाले ओंकार सिंह पाहवा महंगी कारों के शौकीन हैं। उनके पिता सोहन लाल पाहवा के पास अंबेसडर कार होती थी। जब वे कारोबार में आए तो सबसे पहले वर्ष 1975 में टेंडर के जरिए दो कारें मर्सडीज और पियाजो खरीदीं। यह कारें पिता सोहन लाल पाहवा और ताया हंसराज पाहवा को दीं। उस समय विदेशी कारें टेंडर से बिका करती थीं। वर्ष 1978 में पहली बार अपने लिए फोर्ड एस्कोर्ट खरीदी। ड्राइवर को दूसरी सीट पर बिठाकर वे चंडीगढ़ तक ड्राइव के लिए जाया करते थे। इसके बाद उन्होंने लेक्सस, मर्सडीज, टोयटा, वेलफायर, एमजी हेक्टर सहित कई कंपनियों की कारें खरीदी। पाहवा कहते हैं कि उनकी सफलता में माता-पिता के आशीर्वाद और पत्नी पत्नी सरबजीत कौर का बहुत बड़ा योगदान है। वे कारोबार को देश-विदेश में बढ़ाने के लिए व्यस्त रहते थे और परिवार को उनकी पत्नी ही संभालती थी। उन्हें खाना बनाने का भी शौक है। कई बार पत्नी के लिए कुकिंग करते हैं। उनकी बनाई मिक्सवेज सब्जी पत्नी को बहुत पसंद है। ओंकार सिंह पाहवा को लुधियाना से बहुत प्यार है। परिवार ने कारोबार बढ़ाते हुए दूसरे राज्यों में भी प्लांट लगाए। उन्हें कई बार वहां जाकर उन्हें संभालने के लिए कहा लेकिन वे लुधियाना छोडऩे को तैयार नहीं हुए।
साइकिल इंडस्ट्री के मोस्ट हंबल पर्सन
ओंकार सिंह पाहवा अक्सर लोगों की मदद करते हैं। सेहत सुविधाओं और शिक्षा पर बहुत जोर देते हैं। वे कहते हैं कि बंटवारे से पहले उनका परिवार सियालकोट (पाकिस्तान) में रहता था। उस वक्त उनके दादा निहाल सिंह पाहवा को वहां पर इलाज नहीं मिल पाया था। इसके बद पिता सोहन लाल पाहवा और ताया हंसराज पाहवा व जगत सिंह पाहवा ने ठान लिया कि जब भी उनके पास पैसा आएगा वे सेहत सुविधाओं को बढ़ावा देंगे। बंटवारे के बाद परिवार लुधियाना आ गया। यहां वर्ष 1952 में साइकिल बनाने की फैक्ट्री खोली। वर्ष 1973 में दादा निहाल सिंह पाहवा के नाम पर चैरीटेबल ट्रस्ट बनाया गया। सबसे पहले किराये की इमारत में डिस्पेंसरी बनाई। इसके बाद पाहवा चैरीटेबल ट्रस्ट ने पाहवा अस्पताल बनाया। हाल ही में सीएमसी को भी हंबड़ा में सुपर स्पेशयलिटी अस्पताल बनाने के लिए जमीन दी है। संवेदना ट्रस्ट को एंबुलेंस और सिविल अस्पताल में कोविड केयर के लिए स्टाफ भी रखा है।
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