लुधियाना के गांव मानगढ़ का छपड़ तीन परिवारों के लिए साबित हुआ अभिशाप, लील ली छह जिंदगियां
छपड़ से मिट्टी निकालने के कारण वहां 20 फुट गहरा गड्ढा बन गया था। यह वो ही जगह है जहां आज बच्चों और युवक के डूबने से उनकी मौत हुई है। बाकी छपड़ की गहराई 7 फुट के करीब है। इसकी सफाई 2019 में हुई थी।
लुधियाना, [राजन कैंथ]। गांव के सारे सीवरेज का बोझ अपने कंधे पर उठाने वाल छपड़ एक समय वरदान हुआ करते थे। मगर सही रखरखाव न होने के कारण गांव मानगढ़ का एक छपड़ तीन परिवारों के लिए अभिशाप साबित हुआ। अनजाने में छपड़ के पानी में उतरना बच्चों की नादानी ही सहीं, मगर छपड़ की चारदीवारी न करने के चलते हुई उनकी मौत के लिए कहीं न कहीं स्थानीय प्रशासन और गांव की पंचायत भी जिम्मदार है। मानगढ़ के सरपंच गुरबीर सिंह के अनुसार गांव छपड़ करीब 3 एकड़ जमीन में फैला हुआ है।
करीब 15 साल पहले तक यह 2 भागों में बंटा हुआ था। तब इसकी गहराई करीब 4 फुट के आस पास थी। पूरा गांव करीब 720 एकड़ में फैला हुआ है। गांव की असली आबादी 2 हजार से ज्यादा है। इसके अलावा फैक्ट्रियों में काम करने वाली प्रवासी मजदूरों के लिए बनाए गए क्वार्टरों में 6 हजार के करीब लोग रहते हैं। इन दिनों उनकी आधी आबादी आज कल आयोजित हो रही शादियों के कारण अपने घरों को गई हुई है। साल 2014-15 में छपड़ के आस पास का इलाका उंचा करने के लिए उसी में से निकाली गई मिट्टी डाली गई थी।
छपड़ से मिट्टी निकालने के कारण वहां 20 फुट गहरा गड्ढा बन गया था। यह वो ही जगह है, जहां आज बच्चों और युवक के डूबने से उनकी मौत हुई है। बाकी छपड़ की गहराई 7 फुट के करीब है। इसकी सफाई 2019 में हुई थी। 2020 में कोरोना के कारण सफाई नहीं हो सकी। गांव में सीवरेज का पानी इसी टोबे में जाता है। कई बार बरसात में पानी ओवरफ्लो भी हो जाता है, जिसके समाधान के लिये पाइपें लगाकर खेतों को पानी देने की योजना के लिए मीटिंग शुक्रवार सुबह ही हुई थी। 300 फुट पाइप साथ के खेतों में से निकाली जानी है। उनके मालिकों के राजी न होने के कारण काम अभी शुरू नही हो पाया। मनरेगा के तहत छपड़ को साफ करके किनारों पर सैरगाह बनाने की योजना पास हो चुकी है। छपड़ के किनारे जालियां लगाने का काम गांव वालों और पंचायत के तरफ से साल के अंत में होना है। परंतु अब जल्दी शुरू कर दिया जायेगा।
छपड़ के आस पास खेल रहे थे बच्चे
छपड़ के पास वाले खेत में काम करने वाले 21 साल के हेमप्रीत ने बताया कि वह दोपहर एक बजे के करीब अपने खेतों में काम कर रहा था तो पांचों बच्चे छपड़ के आस पास खेल रहे थे। उसने उन्हें डांट कर भगा दिया। फिर वह दूसरी तरफ काम करने चला गया। जब करीब एक घंटे बाद वापस आया तो देखा कि बच्चों के कपड़े वहां पड़े थे और तीन बच्चों की लाशें ऊपर तैर रही थी। तब उसने सरपंच गुरबीर सिंह को सूचना दी। गुरबीर सिंह ने गुरुद्वारा साहिब में अनाउंसमेंट करवाई और पुलिस को सूचित किया। तीन बच्चों के शव पहले ही ऊपर आ गए थे। जिन्हें गांव वालों ने निकाल लिया था। दो शव बाद में दोराहा से आये चार गोताखोरों घोगा, नरेश, राजू, जजी ने डेढ़ घंटे की मेहनत के बाद निकाले।