सांसों पर चलाई कुल्हाड़ी: लुधियाना में काट डाले 200 साल पुराने बरगद के 2 पेड़, तीसरे को लोगों ने बचाया
कोरोना महामारी के दौर में लोगों को समझ आने लगा है कि आक्सीजन की कीमत क्या है। इसके बावजूद जगराओं के गांव पब्बियां में छुटभैया नेताओं ने वर्चस्व की लड़ाई में दो 200 पुराने बरगद के पेड़ों की बलि ले ली।
लुधियाना, [राजन कैंथ]। 'मेरा क्या कसूर था। बस यही कि मैं 200 वर्षों से बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को 24 घंटे आक्सीजन देता रहा। कड़ी धूप में खुद खड़े रहकर तुम्हें ठंडी छांव दी। आज तुमने मुझे नहीं, अपनी सांसों को काटा है। ... गांव पब्बियां (जगराओं) में दो सौ साल पुराने बरगद के दो पेड़ खुद पर कुल्हाड़ी चलाते समय शायद यही कह रहे होंगे।'
कोरोना महामारी के दौर में चारों ओर आक्सीजन के लिए मारामारी है। इस संकट की घड़ी में लोगों को समझ आने लगा है कि आक्सीजन की कीमत क्या है। इसके बावजूद जगराओं के गांव पब्बियां में छुटभैया नेताओं ने वर्चस्व की लड़ाई में दो 200 पुराने बरगद के पेड़ों की बलि ले ली। तीसरे पेड़ को भी काटने की कोशिश की गई लेकिन लोगों ने उसे बचा लिया। गांव की सांझी जमीन पर बाबा चरण दास का डेरा नाम की जगह है। पेड़ इतने पुराने थे कि इनकी शाखाओं से निकली जड़ें भी मोटे तने का रूप लेकर वापस जमीन में समा चुकी थीं।
मोर सहित कई पक्षियों के घोंसले इनकी शाखाओं पर थे। गांव के लोगों की धार्मिक भावनाएं भी इन पेड़ों से जुड़ी हुई थीं। पेड़ों को काटे जाने का मामला उस वक्त सामने आया जब पर्यावरण प्रेमी जगसीर सिंह खालसा ने इसकी शिकायत आइजी लुधियाना रेंज, जंगलात विभाग, जिला विकास व पंचायत अधिकारी से की।
सरकारी या पंचायत की जमीन से कोई भी पेड़ बिना वन विभाग की अनुमति से काटा नहीं जा सकता है।
-जगरूप सह, सुपरिंटेंडेंट वन विभाग
डेरा कमेटी ने ही पेड़ कटवाए हैं। पंचायत से पेड़ कटवाने के लिए मंजूरी नहीं ली गई थी। इसके लिए कमेटी जिम्मेदार है।
-उजागर सिंह, सरपंच गांव पब्बियां
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...तो 400 लोगों की सांसें छीन लीं
पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के लैंड स्कैपिंग अफसर डा. आरके दुबे का कहना है कि एक व्यक्ति को एक दिन में 100 से 120 लीटर आक्सीजन की जरूरत होती है। दो सौ साल पुराना बरगद का एक पेड़ दो सौ से अधिक लोगों की आक्सीजन की जरूरत को पूरा कर रहा होगा। बरगद का पेड़ भी पीपल की तरह 24 घंटे आक्सीजन देता है।
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