Ludhiana Garments Industry: पटरी पर लौटी लुधियाना की गारमेंट्स इंडस्ट्री, कारखानों में दो शिफ्टों में हो रहा काम

Ludhiana Garments Industry औद्योगिक नगरी लुधियाना का व्यापार तेजी से पटरी पर लौटने लगा हैं कारखानों में एक शिफ्ट की बजाए अब दो शिफ्टों में काम शुरू हो गया है। इसके लिए कंपनियों की ओर से स्टाफ की भर्ती भी दोबारा आरंभ कर दी गई है।

By Rohit KumarEdited By: Publish:Sat, 27 Feb 2021 09:40 AM (IST) Updated:Sat, 27 Feb 2021 11:45 AM (IST)
Ludhiana Garments Industry: पटरी पर लौटी लुधियाना की गारमेंट्स इंडस्ट्री, कारखानों में दो शिफ्टों में हो रहा काम
औद्योगिक नगरी लुधियाना का व्यापार तेजी से पटरी पर लौटने लगा हैं।

लुधियाना, मुनीश शर्मा। कोविड काल के बाद औद्योगिक नगरी लुधियाना का व्यापार तेजी से पटरी पर लौटने लगा हैं, कारखानों में एक शिफ्ट की बजाए अब दो शिफ्टों में काम शुरू हो गया है। इसके लिए कंपनियों की ओर से स्टाफ की भर्ती भी दोबारा आरंभ कर दी गई है। लेकिन इन सबके बीच गारमेंट्स इंडस्ट्री की प्रोडक्शन इतनी बढ़ गई है कि डाइंग इंडस्ट्री इस काम को पूरा कर पाने में असमर्थ हो गई है। इसका मुख्य कारण पिछले एक साल लुधियाना गारमेंट्स इंडस्ट्री की ओर से की गई एक्सपेंशन है।

यह भी पढ़ें -  लुधियाना में बीएसएनएल पेंशनर्स ने केंद्रीय मंत्री को लिखा पत्र, डीए की किश्त जारी करने की मांग

इस समय लुधियाना में गारमेंट्स के निर्माण को लेकर कई नए यूनिट्स के साथ साथ पुराने यूनिट्स में एक्सपेंशन की गई है। ऐसे में गारमेंट्स का निर्माण तो बढ़ा है, लेकिन इसके एक मुख्य प्रोसेस डाइंग को लेकर चिंताएं बढ़ गई है। एक दम से प्रोडक्शन में हुए इजाफे के लिए डाइंग इंडस्ट्री तैयार नहीं है और इसके लिए अब 20 से चालीस दिन की वेटिंग पर फैब्रिक की रंगाई डाइंग में की जा रही है। इसका मुख्य कारण लुधियाना में मात्र 300 डाइंग होना है और नई यूनिट लगाने और एक्सपेंशन के लिए पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति न होना है।

केवल तीन सौ यूनिट, इनमें फैब्रिक के लिए मात्र 40 यूनिट्स

औद्योगिक नगरी लुधियाना में डाइंग यूनिट्स की बात करें, तो इस समय केवल 300 यूनिट्स ही लुधियाना में डाइंग कर रहे हैं। इनमें से मात्र 40 यूनिट ही ऐसे हैं, जो आज के ट्रेंड के मुताबिक फैब्रिक की डाइंग कर फिनिशिंग प्रदान कर रहे हैं। लेकिन गारमेंट्स निर्माताओं में हुए इजाफे से मार्केट में डाइंग की मांग बढ़ गई है और अब कई गारमेंट्स निर्माता डाइंग की देरी के चलते आर्डरों के बावजूद प्रोडक्शन करने में कतरा रहे हैं। इसका मुख्य कारण लुधियाना को रेड कैटेगिरी में होने के चलते नए यूनिट लगाने के लिए अनुमति न देना है। अगर ऐसे ही हालात रहे, तो इंडस्ट्री को गारमेंट्स प्रोडक्शन के लिए तैयार फैब्रिक दूसरे देशों से मंगवाना पड़ेगा।

एक्सपेंशन न होने से हमारे लिए समस्या

एकता डाइंग एवं फिनिशिंग मिल के पार्टनर सुभाष सैनी के मुताबिक गारमेंटस की डाइंग को लेकर तेजी से इजाफा हो रहा है। लेकिन इसके लिए प्लांट की एक्सपेंशन को लगी पाबंधी बाधा आ रही है। सरकार को चाहिए कि इसके लिए डाइग कलस्टर का निर्माण करें ताकि पंजाब के गारमेंट्स उद्योगों की डाइंग की डिमांड को पूरा किया जा सके। नहीं तो आने वाले दिनों में प्रोसेसिंग के इस हिस्से के पूरा न होने से गारमेंट्स इंडस्ट्री को नुकसान होगा। बाला जी डाइंग के एमडी बाबी जिंदल के मुताबिक डाइंग की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। इसको लेकर कलस्टर के माध्यम से बेहतर विकल्प दिया जा सकता है। इसके साथ ही एक्सपेंशन को लेकर भी पीपीसीबी को राहतें देने की जरूरत है।

पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें 

हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

chat bot
आपका साथी