Locdown के बाद संकट में फाउंडरी इंडस्ट्री, लेबर की कमी के चलते हाे रहा केवल 20 फीसद उत्पादन

लॉकडाउन के बाद भी फाउंडरी उद्योग की दिक्कतें कम नहीं होने का नाम नहीं ले पा रही हैं।लेबर की कमी एवं फंड की किल्लत के चलते इकाइयां केवल 20 फीसद ही उपयोग कर पा रही हैं।

By Edited By: Publish:Mon, 06 Jul 2020 07:34 PM (IST) Updated:Tue, 07 Jul 2020 09:10 AM (IST)
Locdown के बाद संकट में फाउंडरी इंडस्ट्री, लेबर की कमी के चलते हाे रहा केवल 20 फीसद उत्पादन
Locdown के बाद संकट में फाउंडरी इंडस्ट्री, लेबर की कमी के चलते हाे रहा केवल 20 फीसद उत्पादन

लुधियाना, [राजीव शर्मा]। लॉकडाउन के बाद भी फाउंडरी उद्योग की दिक्कतें कम नहीं होने का नाम नहीं ले पा रही हैं। लेबर की कमी एवं फंड की किल्लत के चलते इकाइयां अपनी स्थापित क्षमता का केवल बीस फीसद ही उपयोग कर पा रही हैं। उद्यमियों का तर्क है कि लॉकडाउन शुरू होते ही कारोबार एकदम से ठप हो गया। ऐसे में उद्यमियों की करीब 40 फीसद पैमेंट बाजार में अटक गई और अभी तक वह पेमेंट आनी शुरू नहीं हुई है।

वर्किंग कैपिटल फंसने से उद्यमी इकाइयों को रफ्तार नहीं दे पा रहे हैं। उद्यमियों का तर्क है कि तरलता बढ़ाने के लिए सरकार उद्यमियों को आसान शर्तों पर विश्व स्तर के मुकाबले चार फीसद ब्याज दर पर ऋण मुहैया कराए। इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष के दौरान ऋण की किश्तों को माफ किया जाए। इससे इंडस्ट्री में फंड की किल्लत दूर होगी और उद्यमी परफार्म कर पाएंगे।

उद्यमियों का तर्क है कि फाउंडरी उद्योग में ज्यादातर इकाइयां माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज क्षेत्र में स्थित हैं। संसाधनों की कमी से वे चुनौतियों का मुकाबला नहीं कर पा रही हैं। शहर में करीब एक हजार फाउंडरी इकाइयां हैं और सालाना तकरीबन तीन से चार हजार करोड़ का टर्नओवर करती हैं। फाउंडरी इंडस्ट्री स्क्रैप को मेल्ट करके उसे ढांचों में प्रोसेस करके नए पुर्जे तैयार करती है। यह इंडस्ट्री साइकिल के पा‌र्ट्स, ऑटो पा‌र्ट्स, इंजन पा‌र्ट्स, एग्रीकल्चर पा‌र्ट्स इत्यादि बनाती हैं। इनकी आपूर्ति देश के विभिन्न राज्यों के अलावा विदेशों को भी की जाती है।

लेबर के पलायन से गहराया संकट

कोरोना महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन में उद्यमियों ने अपनी लेबर को राशन, पैसे एवं उनकी अन्य जरूरतों को पूरा किया। लेकिन मई में जैसे ही श्रमिक विशेष ट्रेन चलीं, अधिकतर लेबर अपने गांव चली गई। आज इंडस्ट्री में सिर्फ बीस फीसद लेबर से ही काम चलाया जा रहा है। नतीजतन उत्पादन भी 20 से 25 फीसद तक ही हो रहा है।

लेबर की कमी एवं फंड की किल्लत से उत्पादन ठप

इंडस्ट्री के पास आर्डर आ रहे हैं, लेकिन लेबर की कमी एवं फंड की किल्लत से उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में इंडस्ट्री में तरलता की कमी दूर करने के उपाय करने होंगे। विदेश में लोन तीन से चार फीसद पर मिलता है, यहां दस से 11 फीसद तक लोन मिल रहा है। इससे लागत बढ़ रही है।

उद्यमियों के लिए बाजार की चुनौतियों का मुकाबला करना नहीं अासान

उद्यमियों के लिए बाजार की चुनौतियों का मुकाबला करना मुश्किल है। सुदर्शन गोसाई, प्रेसिडेंट, लुधियाना फाउंडरी एंड स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन कोरोना काल में फाउंडरी उद्योग संकट में है। औद्योगिक सेक्टर में उत्पादन काफी कम हो रहा है, ऐसे में इंडस्ट्री से स्क्रैप पूरी मात्रा में नहीं निकल पा रही है। इंडस्ट्री के समक्ष कच्चे माल की किल्लत भी महसूस की जा रही है। छोटे उद्यमियों को पटरी पर लाने के लिए सरकार आसान शर्तों पर ऋण मुहैया करवाए। दविंदर सिंह, महासचिव, फाउंडरी एसोसिएशन

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