लुधियाना में पालीथिन बैन पर बिफरे उद्यमी, बोले- केंद्र की तर्ज पर छूट का रास्ता निकाले पंजाब सरकार
शहर के 400 निर्माता और 800 ट्रेडरों पर संकट मंडराने लगेगा। उद्यमियों का कहना है कि केंद्र सरकार ने 50 माइक्रोन से ऊपर वाले प्लास्टिक के इस्तेमाल की इजाजत दी है लेकिन पंजाब में ऐसी कोई छूट नहीं है।
जागरण संवाददाता, लुधियाना। शहर में एक अगस्त से पालीथिन के प्रयोग व बिक्री पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने के मेयर बलकार सिंह संधू के फरमान से इस कारोबार से जुड़े उद्यमी खफा हैं। उनका कहना है कि इससे उनका कारोबार पूरी तरह चौपट हो जाएगा। वह आर्थिक संकट में फंस जाएंगे। इस संबंध में वह जल्द ही मेयर और नगर निगम कमिश्नर से मुलाकात करेंगे।
इस फैसले से शहर के 400 निर्माता और 800 ट्रेडरों पर संकट मंडराने लगेगा। उद्यमियों का कहना है कि केंद्र सरकार ने 50 माइक्रोन से ऊपर वाले प्लास्टिक के इस्तेमाल की इजाजत दी है, लेकिन पंजाब में ऐसी कोई छूट नहीं है। राज्य सरकार को भी केंद्र की तर्ज पर छूट देनी चाहिए। इसके अलावा उद्योगों व आम लोगों को पालीथिन के लिफाफे का विकल्प देना चाहिए।
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते शहर में हुई 128 एमएम बारिश के बाद सड़कों पर पानी जमा हो गया था। पानी की निकासी के लिए बनाई जालियों में कई जगह प्लास्टिक के लिफाफे फंस गए थे। मेयर ने इसके बाद एलान किया कि एक अगस्त से शहर में पालीथिन के प्रयोग व बिक्री पर प्रतिबंध लगाया जाएगा और इसका सख्ती से पालन होगा।
प्लास्टिक मैन्युफेक्चर्स एसोसिएशन के प्रधान गुरदीप सिंह बतरा का कहना है कि कई लोगों का कारोबार इससे प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ है। वह भी पालीथिन से होने वाले प्रदूषण के खिलाफ हैं लेकिन इस संबंध में केंद्र सरकार की तरह मानक तय किए जाएं। सूबे के उद्योगों को बंद करने के बजाय दूसरे राज्यों से धड़ाधड़ आ रहे पालीथिन पर रोक लगानी चाहिए। राज्य में रोजाना करीब एक हजार टन पालीथिन कैरी बैग्स की खपत है। इसमें से करीब 800 टन गुजरात से आता है जबकि मात्र 200 टन स्थानीय उद्योग आपूर्ति करते हैं। दूसरे राज्यों से आने वाले पालीथिन को रोकने के लिए सरकार के पास कोई रोडमैप नहीं है। सरकार को प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट पर ठोस कदम उठाने होंगे। किसी तरह की धक्केशाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।