लुधियाना के जागराओं में छठे वेतन आयोग के खिलाफ सिविल अस्पताल के डॉक्टरों का प्रदर्शन
डॉ. सुरिंदर सिंह ने कहा कि ज्वाइंट एक्शन कमेटी पंजाब सरकार से इस फैसले को रद करने की मांग करती है । पहले से की गई मांग के अनुसार उनका एनपीए 33 प्रतिशत किया जाए एनपीए को पहले की तरह शुरुआती वेतन का हिस्सा माना जाए।
संवाद सहयोगी, जगराओं। पंजाब में छठे वेतन कमीशन ने सिफारिश की है कि एनपीए को 25 प्रतिशत से कम कर के 20 प्रतिशत कर दिया जाए और शुरुआती वेतन के अलावा कोई भी भत्ता वेतन का हिस्सा ना बनाया जाए । छठे वेतन कमीशन की इन सिफारिशों के खिलाफ सिविल अस्पताल जगराओं के डॉक्टरों ने पीसीएमएस एसोसिएशन पंजाब के आह्वान पर काम छोड़कर रोष प्रदर्शन किया गया और रैली निकाली।
एसडीएम नरिंदर सिंह धालीवाल को मुख्यमंत्री के नाम सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि शुरू से लेकर आज तक पंजाब सरकार अपने डॉक्टरों को शुरुआती वेतन के 25 प्रतिशत के बराबर एनपीए देती आ रही है। एनपीए प्रत्येक लाभ के लिए शुरुआती वेतन का हिस्सा ही माना जाता रहा है। दुख की बात यह है कि छठे वेतन कमीशन ने सिफारश की है एनपीए को 25 प्रतिशत से कम करके 20 प्रतिशत कर दिया जाए और वेतन के अलावा कोई भी भत्ता शुरुआती वेतन का हिस्सा ना बनाया जाए।
डॉक्टरों ने कहा कोरोना काल में दिन-रात सेवा करने वाले डॉक्टरों को सरकार सरकार इनाम देने के बजाय उनके हक छीन रही है। सरकारी डाक्टरों समेत समुचे स्वास्थ्य विभाग और पशुपालन विभाग ने इस महामारी दौरान सही शब्दों में योद्धा बनकर कार्य किया है और कर रहे हैं। सैकड़ों डॉ. कोरोना काल में संक्रमित हुए और कई ने अपनी जान भी कुर्बान की। सरकार उनकी हौसला अफजाई करने के वेतन कम करके उनका आर्थिक शोषण कर रही है।
डॉ. सुरिंदर सिंह ने कहा कि ज्वाइंट एक्शन कमेटी पंजाब सरकार से इस फैसले को रद करने की मांग करती है । पहले से की गई मांग के अनुसार उनका एनपीए 33 प्रतिशत किया जाए, एनपीए को पहले की तरह शुरुआती वेतन का हिस्सा माना जाए, शुरुआती वेतन का हिस्सा मानते हुए उनंकी पेंशन फिक्स की जाए, कोरोना महामारी में लड़ाई लड़ने वाले डॉक्टरों को स्पेशल भत्ता दिया जाए। प्रदर्शन में पीसीएम एसोसिएशन, पंजाब पीसीएमएस डेंटल एसोसिएशन, मेडिकल टीचर एसोसिएशन, रूरल मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन, आयुर्वेदिक मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन और पंजाब स्टेट वेटरनरी एसोसिएशन के सदस्यों ने भाग लिया।