पंजाब सरकार की अध्यापक विरोधी नीतियों के खिलाफ फूटा गुस्सा, डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट ने फूंकी अर्थी
डीटीएफ के जिला प्रधान हरदेव सिंह ने कहा कि कच्चे अध्यापक शिक्षा प्रोवाइडर एआईई ईजीएस एसटीआर आईईवी आईईआ्रटी वालंटियर्स जो कि पिछले 18 वर्षों से शिक्षा विभाग तहत पंजाब के सरकारी स्कूलों में थोड़े से वेतन पर सेवाएं दे रहे हैं उन्हे पक्का नहीं किया जा रहा।
लुधियाना, जेएनएन। डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (डीटीएफ) और कच्चे अध्यापक संघर्ष मोर्चा ने पंजाब सरकार की अध्यापक विरोधी नीतियों के चलते शुक्रवार मुल्लांपुर में रोष प्रर्शन किया। उन्होंने पंजाब सरकार की अर्थी फूंक नारेबाजी की।
डीटीएफ के जिला प्रधान हरदेव सिंह ने कहा कि कच्चे अध्यापक शिक्षा प्रोवाइडर, एआईई, ईजीएस, एसटीआर, आईईवी, आईईआ्रटी वालंटियर्स जो कि पिछले 18 वर्षों से शिक्षा विभाग तहत पंजाब के सरकारी स्कूलों में थोड़े से वेतन पर सेवाएं दे रहे हैं, उन्हे पक्का नहीं किया जा रहा। उन्हें मात्र छह हजार वेतन दिया जा रहा है। इनमें से बहुत से अध्यापक ऐसे हैं जो उम्र ज्यादा होने के चलते अन्य जगह नौकरी लेने के योग्य भी नहीं हैं। कच्चे अध्यापक यूनियन की रूपिंदर कौर, कमलजीत कौर, मनदीप कौर और हरप्रीत कौरने कहा कि पंजाब की कैप्टन सरकार भी केंद्र सरकार की तरह कोरपोरेट घरानों को मुनाफा देने के लिए दिनों-दिन निजीकरण की नीति अपना रही हैं।
इस दौरान मनराज सिंह विरक, अंकुश शर्मा, राकेश कुमार, जगजीत सिंह, रवींदर सिंह, जसविंदर सिंह ने कहा कि कच्चे अध्यापकों को शीघ्र पक्का किया जाए। साथ ही, पूरा वेतन और सभी भत्तों सहित रेगुलर पोस्टों पर बिना शर्त शिक्षा विभाग में शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार स्कूलों को स्मार्ट होने का सर्टिफिकेट दे रही है पर जितना देर स्कूलों की असल बुनियाद शिक्षा देने वाले अध्यापक स्मार्ट वेतन के हकदार नहीं होंगे, तब तक सब बेकार है।