Navjot Sidhu की एंट्री से लुधियाना कांग्रेस में बदलेंगे समीकरण, 'गुरु' से दूरी बनाकर बैठे विधायक अब जाएंगे करीब

प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी के लिए कैप्टन-सिद्धू विवाद में लुधियाना ही एक ऐसा जिला था जहां के विधायक किसी को भी खुलकर समर्थन नहीं दे रहे थे। यहां के पांच विधायकों में से तीन तो सिद्धू के पक्ष में थे लेकिन वह सामने आकर कुछ कह नहीं रहे थे।

By Vikas_KumarEdited By: Publish:Mon, 19 Jul 2021 07:52 AM (IST) Updated:Mon, 19 Jul 2021 07:52 AM (IST)
Navjot Sidhu की एंट्री से लुधियाना कांग्रेस में बदलेंगे समीकरण, 'गुरु' से दूरी बनाकर बैठे विधायक अब जाएंगे करीब
खन्ना से जालंधर जाने के क्रम में सिद्धू ने लुधियाना में ब्रेक ही नहीं लगाई।

भूपेंदर सिह भाटिया, लुधियाना। पंजाब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में नवजोत सिंह सिद्धू की एंट्री से लुधियाना में भी हलचल मच गई है। पिछले कुछ दिनों से प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी के लिए कैप्टन-सिद्धू विवाद में लुधियाना ही एक ऐसा जिला था, जहां के विधायक किसी को भी खुलकर समर्थन नहीं दे रहे थे। लुधियाना शहर की बात करें तो यहां के पांच विधायकों में से तीन तो सिद्धू के पक्ष में थे, लेकिन वह सामने आकर कुछ कह नहीं रहे थे। विधायकों ने एक ही रट लगा दी थी कि हाईकमान जिसे कमान सौंपेगी, वे उसी के साथ खड़े रहेंगे। यही कारण है कि रविवार को खन्ना से जालंधर जाने के क्रम में सिद्धू ने लुधियाना में ब्रेक ही नहीं लगाई।

शहरी क्षेत्र से जुड़े पांच कांग्रेस विधायकों की बात करें तो सिर्फ कुलदीप वैद ही खुलकर कुछ हद तक सामने आए हैं। सुखपाल खैहरा द्वारा कैप्टन के पक्ष में सोनिया गांधी को लिखे पत्र में जिन दस विधायकों के नाम थे, उनमें कुलदीप वैद का भी नाम था। हालांकि पिछले कुछ सालों में सिद्धू और मंत्री भारत भूषण आशु के संबंधों में वह मधुरता नजर नहीं आई थी, जो सिद्धू के स्थानीय निकाय विभाग के मंत्री का पद संभालने के दौरान थी। जानकारों का कहना है कि मंत्री आशु के भी राहुल गांधी के साथ काफी करीबी संबंध हैं। इसलिए दिल्ली के निर्देश पर मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष के संबंध एक बार फिर मधुर होंगे।

लुधियाना नार्थ से विधायक राकेश पांडे वैसे तो अकेले चलो की नीति पर ही चलते हैं, लेकिन पिछले दिनों मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विरोध के बावजूद उनके बेटे को तहसीलदार लगाया था। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा थी कि वह कैप्टन के पक्ष में होंगे, लेकिन पांडे का एक ही वाक्य था कि हाईकमान जिसे भी प्रदेश अध्यक्ष बनाएगी, वह हमारे लीडर होंगे। खासबात यह है कि सिद्धू के साथ प्रदेश के चार कार्यकारी प्रधान भी घोषित हुए हैं और पहले संभावना जताई जा रही थी कि इन चार कार्यकारी प्रधानों में राकेश पांडे का भी नाम होगा, लेकिन उनका नाम इस सूची में नहीं है। लुधियाना सेंट्रल के विधायक सुरिंदर डावर का भी कुछ ऐसा ही बयान था। उनका कहना था कि हाईकमान के फैसले पर सभी को चलना होगा, भले ही फैसला जो भी होगा।

विधायक संजय के घर भी जाना था सिद्धू ने

लुधियाना पूर्वी से पहली बार जीत दर्ज कर विधानसभा में पहुंचे संजय तलवाड़ के सिद्धू से हमेशा ही अच्छे संबंध रहे हैं। रविवार को भी खन्ना में विधायक गुरकीरत ङ्क्षसह कोटली से मिलने के बाद जालंधर जाने के क्रम में उनका कार्यक्रम लुधियाना के सिर्फ एक विधायक संजय तलवाड़ के घर में रुकना था, लेकिन किसी कारणवश उनका काफिला लुधियाना नहीं रुका और सीधे जालंधर के लिए रवाना हो गया। स्थानीय निकाय मंत्री के रूप में सिद्धू ने पूर्वी हल्के के विकास के लिए 800 करोड़ रुपये के कई प्रोजेक्ट विधायक संजय को दिए थे। इतना ही नहीं, वह लुधियाना जब भी आए तो संजय के घर कुछ समय के लिए जरूर रुके।

जिला प्रधान की कुर्सी पर अभी से नजरें

लुधियाना जिला कांग्रेस के प्रधान अश्वनी शर्मा वैसे तो शुरू से ही सभी को साथ लेकर चलने की नीति पर काम करते आए हैं, लेकिन सिद्धू के साथ उनके संबंध उतने करीबी नहीं रहे हैं। जानकारों का कहना हैं कि सिद्धू को अध्यक्ष की कुर्सी मिलने के पहले से ही कई कांग्रेसी नेता जिला प्रधान की कुर्सी पर नजरें गड़ाए बैठे हैं। हालांकि अश्वनी शर्मा के संबंध राजधानी दिल्ली में बैठे कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के साथ हैं और वह अध्यक्ष भी उनके प्रयासोंं से बने हैं, लेकिन कुछ विधायकों के साथ उनके संबंध उतने मजबूत नहीं है। बहरहाल, जिला कांग्रेस के नेता अब अपने आकाओं के साथ सिद्धू के करीब आने की जुगत में लगेंगे।

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