श्री अकाल तख्त साहिब और प्रबंधक कमेटी को राजनीतिक दखल से मुक्त करना जरूरी: रोडे
श्री अकाल तख्त साहिब और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को राजनीतिक दखल से मुक्त कर दिया जाए तो जो धार्मिक और राजनीतिक संकट पैदा हुआ है, वह अपने आप ही समाप्त हो जाएगा।
संस, जगराओं। अगर श्री अकाल तख्त साहिब और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को राजनीतिक दखल से मुक्त कर दिया जाए तो आज जो भी धार्मिक और राजनीतिक संकट पैदा हुआ है, वह अपने आप ही समाप्त हो जाएगा। पूरा सिख पंथ एक सूत्र में बंधा नजर आएगा। यह विचार श्री अकाल तख्त साहिब के पूर्व जत्थेदार भाई जसवीर सिंह रोडे ने व्यक्त किए। वह जगराओं में संत बाबा जोगिंदर सिंह खालसा जी की 25वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में इंटरनेशनल पंथक दल की अहम बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे थे।
रोडे ने कहा कि शिअद में बगावत अशोभनीय है। पार्टी प्रधान को वरिष्ठ नेताओं की बात सुन उस पर विचार करना चाहिए था। यह सिर्फ दोनों पक्षों में आपसी तालमेल की कमी के कारण हुआ है। इस बगावत को रोका जाना चाहिए था। अगर अभी भी नही संभले तो आने वाले समय में इसका बड़ा खामियाजा सिख कौम और पार्टी को भुगतना पड़ सकता है।
इस मौके जत्थेदार दलीप सिंह चकर, कनवीनर हरचंद सिंह, बूटा सिंह मलक, परमजीत सिंह, रविंदर सिंह, सिमरजीत सिंह, जगदीप सिंह, हरजिंदर सिंह, कमलजीत बिट्टू, सुखदेव सिंह, सुखविंदर सिंह और रमनदीप सिंह सहित अन्य उपस्थित थे।
बादल नहीं भाग सकते जिम्मेदारी से
इस मौके जत्थेदार रोडे ने कहा कि पंजाब में शिअद सरकार के कार्यकाल में हुई बेअदबी की घटनाएं और बरगाड़ी जैसी घटनाओं को लेकर समय पर आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई न करने और डेरा सिरसा के मुखी राम रहीम को नाटकीय ढंग से दी गई माफी के घटनाक्रम से तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, गृह मंत्री और पार्टी प्रधान सुखबीर सिंह बादल व तत्कालीन पुलिस मुखी अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते।
बरगाड़ी मोर्चे में तालमेल की कमी
सिंह साहिब ने बरगाड़ी मोर्चे के संबंध में कहा कि वह मोर्चा अब तक सफलता पूर्वक चल रहा है और सिख संगतों का हर तरह से सहयोग भी मिल रहा है लेकिन मोर्चे के नेताओं में आपसी तालमेल की कमी है। उन्होंने कहा कि इस मोर्चे का एक व्यक्ति को लीडर नियुक्त कर देना चाहिए और समुची सिख संगत में वह अपनी बात रखें।
बिना तैयारी बागी धडे़ ने खोला मोर्चा
शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ टकसाली नेताओं ने जो तेवर अब दिखाए है वह तेवर उन्हे पहले पार्टी कोर कमेटी की बैठक में दिखाने चाहिए थे। अगर वहां बात नहीं बनती तो उन्हे पहले सभी टकसाली नेताओं के साथ बैठक करनी चाहिए थी और पार्टी प्रधान को अल्टीमेटम दिया जाना चाहिए था। उसके बाद उन्हे पार्टी के पदों से इस्तीफा देना चाहिए था, अगर शुरू से ही अपनी ताकत व आस्तित्व टकसाली नेताओं ने दिखाई होती तो अब यह नौबत नहीं आती।
बादल की जेब से नहीं निकले
रोडे ने कहा कि पिछले लंबे समय से यह परंपरा ही चल पड़ी है कि बादल जिसके नाम की पर्ची अपनी जेब से निकाल कर रख दें वही शिरोमणि कमेटी का प्रधान बन जाता है। अब इसे बंद किया जाना चाहिए। सभी शिरोमणि कमेटी सदस्यों को भी अपनी जमीर की आवाज को सुनना चाहिए। आंखें मूंद कर सभी फैसले स्वीकार न किए जाएं। कांग्रेस सरकार की भी जिम्मेदारी सिखों के धार्मिक मामलों को लेकर सिख कौम बरगाड़ी पर मोर्चा लगाए हुए हैं। उस मोर्चे के प्रति पंजाब की कैप्टन सरकार अपनी आंखें बंद कर बैठी हुई है। उन्होंने कहा कि अपनी सजा पूरी कर चुके नजरबंद सिखों की रिहाई की जा रही है। कैप्टन सरकार उस जिम्मेदारी से भाग रही है।