परमात्मा और गुरु की लीला कोई नहीं जान सकता : कुमार स्वामी
श्री लक्ष्मी नारायण धाम के सद्गुरुदेव ब्रह्मर्षि कुमार स्वामी ने संगत को आनलाइन संबोधित करते हुए कहा कि परमात्मा व गुरु की लीला को कोई नहीं जान सकता। राम नाम जपना व जानना इन दोनों में बहुत ही अंतर है। राम नाम जपना तो क्रिया और जाना तब ही जा सकता हैं कि जब गुरु की कृपा हो।
संसू, लुधियाना : श्री लक्ष्मी नारायण धाम के सद्गुरुदेव ब्रह्मर्षि कुमार स्वामी ने संगत को आनलाइन संबोधित करते हुए कहा कि परमात्मा व गुरु की लीला को कोई नहीं जान सकता। राम नाम जपना व जानना, इन दोनों में बहुत ही अंतर है। राम नाम जपना तो क्रिया और जाना तब ही जा सकता हैं कि जब गुरु की कृपा हो। इसे मन-चित-बुद्धि से नहीं जाना जा सकता है। क्योंकि ये अपरा प्रकृति है। ज्ञान भी गुरु के आशीर्वाद से मिलता है। एक अमीर पिता का पुत्र गुरु की शरण में गया। गुरु ने आश्रम के कार्य उसे सौंप दिए। वह श्रद्धा भाव से गुरु की आज्ञा का पालन करता और नि:स्वार्थ सेवा में मगन रहता था। इधर सभी शिष्य गुरु जी से विद्या ग्रहण करते और कहते कि यह तो मूर्ख है क्योंकि गुरु जी ने इसे कोई विद्या प्रदान ही नहीं की। एक दिन गुरु जी ने सभी की शंका निवारण करने के लिए उस शिष्य को बुलाकर अपने चरणों में बिठाया और सिर पर हाथ रख दिया।
इसके बाद उसे आदेश दिया कि वह अपनी विद्या का प्रदर्शन करे। सभी शिष्य यह देखकर दंग रह गए कि उसे उस विद्या का तो ज्ञान था ही जो गुरु जी ने सभी शिष्यों को प्रदान की थी बल्कि उसे उस विद्या का भी ज्ञान था जो गुरु जी ने उन्हें अभी प्रदान करनी थी। यह सोच का विषय नहीं है, गुरु कृपा का विषय है क्योंकि सोचे सोच न होवई जो सोचि लख वार। जो पाठ करेगा वही राम को जानेगा। गुरु जो मंत्र दे उसका जाप करते रहो क्योंकि मंत्रों का अर्थ जानना जरूरी नहीं है। इसी से ही समस्त मनोकामना पूर्ण होती है।