गौरक्षा के साथ पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रही लुधियाना की कृष्ण बलराम गऊशाला

गाैशाला प्रबंधन ने यहां पर गोबर गैस प्लांट लगाया है। इसमें बनने वाली गैस को अपने कार्यों में उपयोग किया जा रहा है और यहां से निकलने वाली गोबर खाद एवं गौमूत्र को किसानों को दिया जा है।

By Vipin KumarEdited By: Publish:Sun, 09 Aug 2020 12:24 PM (IST) Updated:Sun, 09 Aug 2020 12:24 PM (IST)
गौरक्षा के साथ पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रही लुधियाना की कृष्ण बलराम गऊशाला
गौरक्षा के साथ पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रही लुधियाना की कृष्ण बलराम गऊशाला

लुधियाना, जेएनएन। लुधियाना की कृष्ण बलराम गऊशाला जहां बेसहारा गौवंश के लिए आश्रय स्थल है, वहीं यह गौशाला पर्यावरण संरक्षण के लिए भी काम कर रही है। सड़कों पर घूम रहे भूखे प्यासे गौवंश को संरक्षण देने के लिए शहर से दूर पक्खोवाल रोड पर गांव ललतों में कृष्ण बलराम गऊशाला आसपास के गांवाें में किसानों को आर्गेनिक खेती के लिए प्रेरित भी कर रही है।

गाैशाला प्रबंधन ने यहां पर गोबर गैस प्लांट लगाया है। इसमें से बनने वाली गैस को अपने कार्यों में उपयोग किया जा रहा है और यहां से निकलने वाली गोबर खाद एवं गौमूत्र को किसानों को दिया जा रहा है, ताकि वे खतरनाक रासायनों से दूर रह कर आर्गेनिक खेती को प्रोत्साहित कर सकें। गऊशाला से रोजाना दस से बारह टन गोबर और गौमूत्र निकलता है, जिससे खाद तैयार की जा रही है।

चार एकड़ जमीन में बनी है गौशाला    
शहर के कुछ प्रतिष्ठित गौसेवक पुरषोत्तम गर्ग, राजेश गर्ग, विजय तायल, सुदेश गोयल, नंद लाल जैन, विनय सिंघल, हरि कृष्ण गुप्ता व अन्य ने सड़कों पर घूम रहे गौवंश को आश्रय देने के लिए वर्ष 2004 में कृष्ण बलराम गऊशाला की स्थापना की। शहर से दूर गौशाला बनाने का मकसद था कि शहर में गऊशाला बनाने में काफी दिक्कतें थी। गोबर सीवरेज में जाकर इसे जाम कर सकता था। इसके अलावा प्रदूषण की समस्या से भी दो चार होना पड़ता। अब गांव में बनी गौशाला से निकलने वाला गोबर किसानों के काम आ रहा है।

गाैशाला में पांच सौ से अधिक गौधन

कृष्ण बलराम गाैशाला ट्रस्ट के प्रधान विनय सिंघल ने कहा कि यह गाैशाला चार एकड़ जमीन में फैली है। इसमें पांच सौ से अधिक गौधन है। जबकि इसकी क्षमता छह सौ से सात सौ गौधन पालने की है। सड़कों पर बेसहारा घूम रहे गौधन को लाने के लिए दो वाहन विशेष तौर पर रखे गए हैं। इसके अलावा बीमार गौधन के इलाज के लिए एक एंबूलेंस एवं डाक्टर की भी खास व्यवस्था है। इस गौशाला का संचालक भक्तों के दान एवं कमेटी सदस्यों के अंशदान से चल रहा है।


भगवान श्री कृष्ण काे समर्पित है गौशाला
भगवान श्री कृष्ण को गौधन का संरक्षणकर्ता माना जाता है। गोवर्धन पर्वत उठा कर जहां उन्होंने ब्रज वासियों की रक्षा की थी, वहीं उन्होंने इंद्र के कोप से गौधन की भी रक्षा की थी। यह गौशाला भी गौधन के संरक्षण के लिए बनाई गई है। इसलिए इसे भगवान श्री कृष्ण एवं बलराम का नाम दिया गया है। गोशाला में गोवर्धन पूजा के अवसर पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।  

गौशाला में जन्माष्टमी पर होता है भव्य कार्यक्रम
भगवान श्री कृष्ण से जुड़े सभी त्योहारों एवं पर्वों को इसे मनाया जाता है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी, गोवर्धन पूजा, होली, शिवरात्रि, राम नवमी, दहशरे का पर्व भी खास तौर पर भक्तों के आकर्षण का केंद्र रहते हैं। इस बार कोरोना महामारी के दौरान पर्व सीमित के तौर पर ही मनाए जाएंगे। प्रबंधन समिति के कुछ सदस्य गौधन के साथ ही जन्माष्टमी का पर्व सीमित तौर पर मनाएंगे।

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