निगम सेक्रेटरी सेखों बोले, कोरोना काल में इंसानियत शर्मसार, अपनों की अस्थियों को हाथ लगाने को लोग नहीं तैयार

कोरोना संक्रमण के बीच मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। प्रशासन कोरोना से लड़ने के लिए तमाम कोशिशें कर रहा है। ऐसा नहीं कि सभी कोशिशें नाकाम हैं अस्पतालों में बेडों की गिनती बढ़ाना हो या फिर आक्सीजन उपलब्ध करवाना।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 19 May 2021 06:44 AM (IST) Updated:Wed, 19 May 2021 06:44 AM (IST)
निगम सेक्रेटरी सेखों बोले, कोरोना काल में इंसानियत शर्मसार, अपनों की अस्थियों को हाथ लगाने को लोग नहीं तैयार
निगम सेक्रेटरी सेखों बोले, कोरोना काल में इंसानियत शर्मसार, अपनों की अस्थियों को हाथ लगाने को लोग नहीं तैयार

राजेश भट्ट, लुधियाना : कोरोना संक्रमण के बीच मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। प्रशासन कोरोना से लड़ने के लिए तमाम कोशिशें कर रहा है। ऐसा नहीं कि सभी कोशिशें नाकाम हैं अस्पतालों में बेडों की गिनती बढ़ाना हो या फिर आक्सीजन उपलब्ध करवाना। इस मोर्चे पर प्रशासन ने एक बार भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। मौतें लगातार बढ़ रही हैं तो संक्रमितों के संस्कार करवाना भी प्रशासन के लिए चुनौती से कम नहीं है।

प्रशासन ने निगम कमिश्नर प्रदीप सभ्रवाल को संस्कार कमेटी का हेड बनाया है और कमिश्नर ने इसकी पूरी जिम्मेदारी निगम के सेक्रेटरी जसदेव सिंह सेखों को सौंपी है। कोविड काल में सेखों को जो जिम्मेदारियों सौंपी गई उन्होंने बखूबी निभाई है। कोरोना काल में संस्कार करवाने को लेकर आ रही दिक्कतों और उन्हें दूर करने के लिए किए जा रहे उपायों पर दैनिक जागरण ने संस्कार सेल के इंचार्ज जसदेव सिंह सेखों से खास बातचीत की। सेखों का कहना है कि इस कोविड ने सबसे बड़ा नुकसान इंसानियत का किया है। लोग अपनों की अस्थियों तक को हाथ लगाने के लिए तैयार नहीं हैं। सवाल : कोविड काल में नगर निगम को क्या-क्या जिम्मेदारियां मिली हैं?

जवाब : कोरोना संक्रमण की शुरुआत में निगम को पहले शहर को सैनिटाइजेशन की जिम्मेदारी मिली। उसके बाद कोरोना संक्रमितों के घरों को सैनिटाइजेशन का काम शुरू किया गया। जब परिजनों ने संस्कार करने से मना किया तो यह जिम्मेदारी भी प्रशासन ने निगम को सौंपी। पिछले साल श्रमिकों को उनके घर पहुंचाने, गरीबों को राशन बांटने जैसी कई अहम जिम्मेदारियां निगम के पास रहीं। सवाल: आपको कोविड से निपटने के लिए क्या-क्या अहम जिम्मेदारियां मिली हैं?

जवाब: पिछले साल जब जनता क‌र्फ्यू का एलान किया गया तो मैंने तात्कालिक निगम कमिश्नर को कहा कि शहर में सैनिटाइजेशन की जानी चाहिए। इस पर उन्होंने कहा कि मशीनें नहीं हैं तो मैंने उन्हें कहा सब व्यवस्था हो जाएगी आप आदेश करें। उसके बाद मैंने अपनी टीम के साथ मिलकर 72 घंटे में पूरा शहर सैनिटाइज करवाया। पिछले साल हमने छह बार शहर को सैनिजाइज किया। इसके अलावा गुरदेव नगर में जब पहली मरीज आई थी तो उसके घर में भी खुद सैनिटाइजेशन की। लुधियाना में कोविड की पहली मौत के बाद परिजनों ने संस्कार करने से मना किया तो वहां भी मैंने और मेरी टीम ने संस्कार करवाया। उसके बाद ढोलेवाल श्मशानघाट प्रबंधकों के साथ मिलकर श्मशान घाट में संक्रमितों का संस्कार शुरू करवाया। सवाल : मृतकों की सख्या बढ़ने से क्या-क्या व्यवस्थाएं करनी पड़ी?

जवाब: पहले दो श्मशानघाटों में अंतिम संस्कार किए जा रहे थे। अब छह श्मशान घाटों में संस्कार किए जा रहे हैं। शवों की बेकद्री न हो इसके लिए स्लाट सिस्टम तैयार किया गया। सवाल: संस्कार करवाने को लेकर किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है?

जवाब: संस्कार के लिए हमारी दस सदस्यों की टीम पहले दिन से जुटी है। संस्कार की प्रक्रिया में सबसे खराब बात यह सामने आई है कि लोग इंसानियत को भूल गए। लोग अपने परिजनों के संस्कार के लिए भी आगे नहीं आ रहे हैं। ज्यादातर लोग सिर्फ दूर से मुंह देखकर पीछे हो जाते हैं। शव जलने के बाद अस्थियों को भी हाथ नहीं लगाते और कहते हैं कि घड़े में पैक करके दे दो। इससे बड़ी बात यह है कि कुछ लोग तो अस्थियां लेने नहीं आ रहे हैं, जिन्हें हम खुद प्रवाहित कर रहे हैं। सवाल: श्मशानघाट में क्या व्यवस्थाएं की जानी चाहिए?

जवाब: दो श्मशानघाटों में एलपीजी भट्टियों पर संस्कार किए जा रहे हैं। इस तरह की व्यवस्था सभी श्मशानघाटों में होनी चाहिए ताकि पर्यावरण का नुकसान न हो। श्मशान घाट में सोलर भट्टियां का इंतजाम करने चाहिए। सवाल: लोगों को क्या संदेश देना चाहोगे?

जवाब: कोरोना निसंदेह संक्रमित बीमारी है लेकिन इसमें इंसानियत को न भूलें। एक दूसरे की मदद जरूर करें।

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