पंजाब में सत्ता परिवर्तन से बदले जगराओं के राजनीतिक समीकरण

कैप्टन अमरिदर सिंह द्वारा इस्तीफा देने के बाद सूबे के अधिकतर विधानसभा क्षेत्रों में हलचल शुरू हो गई है। ऐसे में विधानसभा क्षेत्र जगराओं में भी राजनीति के समीकरण बदलते दिख रहे हैं। यहां कांग्रेस के लिए शुरू से ही टिकट के दावेदारों में एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति रही है। क्षेत्र में सरगर्म रहे सभी कांग्रेस नेता खुद को टिकट का दावेदार समझ रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 06:44 PM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 06:44 PM (IST)
पंजाब में सत्ता परिवर्तन से बदले जगराओं के राजनीतिक समीकरण
पंजाब में सत्ता परिवर्तन से बदले जगराओं के राजनीतिक समीकरण

हरविदर सिंह सग्गू, जगराओं : कैप्टन अमरिदर सिंह द्वारा इस्तीफा देने के बाद सूबे के अधिकतर विधानसभा क्षेत्रों में हलचल शुरू हो गई है। ऐसे में विधानसभा क्षेत्र जगराओं में भी राजनीति के समीकरण बदलते दिख रहे हैं। यहां कांग्रेस के लिए शुरू से ही टिकट के दावेदारों में एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति रही है। क्षेत्र में सरगर्म रहे सभी कांग्रेस नेता खुद को टिकट का दावेदार समझ रहे हैं। जगराओं में पिछले चुनाव में हारने वाले पूर्व मंत्री मलकीत सिंह दाखा, सफाई कर्मचारी कमिशन के चेयरमैन गेजाराम और पूर्व केंद्रीय मंत्री बूटा सिंह की पुत्री एडवोकेट गुरकीरत कौर पूरी तरह से सरगर्म हैं। इनमें पूर्व मंत्री मलकीत सिंह दाखा और गेजा राम कैप्टन अमरिदर सिंह खेमे के माने जाते हैं। हालांकि एडवोकेट गुरकीरत कौर कुछ महीने पहले ही क्षेत्र में आकर सरगर्म हुई हैं और उन्हें गांधी परिवार का नजदीकी माना जाता है।

पार्टी वर्करों में तालमेल नहीं बिठा पाए हैं पूर्व मंत्री दाखा

पूर्व मंत्री मलकीत सिंह दाखा पिछली बार जगराओं से चुनाव हार गए थे। हालांकि पार्टी ने उन्हें हलके का प्रभारी नियुक्ति कर दिया था। तभी से वे यहां सरगर्म हैं, लेकिन पार्टी वर्करों के साथ तालमेल बिठाने में कुछ ज्यादा सफल नहीं हो पाए हैं। ऐसे में इस बार क्षेत्र के लोग उनसे निराश नजर आ रहे हैं। हालांकि अभी तक वे कैप्टन के नजदीकी होने के कारण खुद के उम्मीदवार समझ कर चल रहे थे। अब कैप्टन अमरिदर सिंह पद पर नहीं रहे तो फिलहाल वह भी पूरी तरह से बैकफुट पर नजर आ रहे हैं।

सिर्फ एक समुदाय के सीमित हैं गेजाराम

जहां तक सफाई कर्मचारी कमिशन के चेयरमैन गेजाराम की बात है, वे पिछली बार पहले तो टिकट लेने में सफल हो गए थे, लेकिन ऐन मौके पर किसी दिग्गज का सहयोग न मिलने के कारण टिकट उनसे वापस लेकर मलकीत सिंह दाखा को दे दी गई थी। उसी समय से गेजाराम जगराओं में सरगर्म में होने लगे तो शुरुआती दौर पर ही दो गुट बनते देख पार्टी हाईकमान द्वारा गेजा राम को जगराओं में दखल न देने के आदेश देने की चर्चा भी चलती रही और काफी समय गेजा राम जगराओं से दूर रहे। अब कुछ समय से वह फिर सरगर्म हो गए। कैप्टन अमरिदर सिंह द्वारा उन्हें कमिशन का चेयरमैन नियुक्त कर देने पर वे पार्टी के ऊपरी स्थानों में भले ही अहम स्थान खुद के लिए मान रहे हों, लेकिन जगराओं में वह सिर्फ एक ही समुदाय के कुछ लोगों तक ही सीमित होकर रह गए। उन्हें हिदू , जट सिख या बीसी वर्ग के द्वारा कोई अहमियत नहीं दी गई।

कुछ महीने पहले ही जगराओं आई हैं गुरकीरत कौर

जगराओं में तीसरी दावेदार पूर्व केंद्रीय मंत्री बूटा सिंह की पुत्री एडवोकेट गुरकीरत कौर हैं। वे अभी कुछ महीने पहले ही जगराओं में आई हैं। उनके समर्थक दावा कर रहे हैं कि उन्हें पार्टी हाईकमान द्वारा भेजा गया है और वर्ष 2022 में उन्हें ही उम्मीदवार बनाया जाएगा। अब तो कैप्टन अमरिदर सिंह के इस्तीफा देने के बाद से मलकीत सिंह दाखा और गेजाराम की दावेदारी कमजोर हो चुकी है। इसके साथ ही गुरकीरत के पिता बूटा सिंह के गांधी परिवार से नजदीकी संबंध होने के कारण उनका दावा फिलहाल मजबूत नजर आ रहा है।

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