'Pakistan से रातों-रात भागकर न आते तो कबूल करना पड़ सकता था इस्लाम' Ludhiana News
खन्ना में इस समय ऐसे करीब आधा दर्जन परिवार रहते हैं जो नागरिकता की खातिर सैकड़ों चक्कर सरकारी दफ्तरों में काट कर थक-हार कर बैठे थे।
खन्ना [सचिन आनंद]। संसद के दोनों सदनों में नागरिकता संशोधन बिल के पास होने के बाद पाकिस्तान से सालों पहले आए उन हिंदू व सिख परिवारों को बड़ी राहत मिली है जो नागरिकता की आस में दर-दर की ठोकर खा रहे हैं। कई साल पहले किसी तरह अपने और अपने परिवारों की जान बचाकर पाक से भारत आए इन परिवारों के लिए यह बिल उस वक्त आस की किरण लेकर आया है जब वे नागरिकता की उम्मीद में बुरी तरह से टूट चुके थे। खन्ना में इस समय ऐसे करीब आधा दर्जन परिवार रहते हैं जो नागरिकता की खातिर सैकड़ों चक्कर सरकारी दफ्तरों में काट कर थक-हार कर बैठे थे। ऐसे में इस बिल ने उन्हें नई ताजगी दी है। इन्हीं परिवारों से दैनिक जागरण ने बात की।
समझौता एक्सप्रेस से पहुंचे थे भारत, बाबरी विध्वंस के बाद पाक में हिंदुओं पर बढ़ गया था अत्याचार
पाकिस्तान के कोहाट से 2004 में भारत पहुंचे मदन लाल सब्जी मंडी में सब्जी की रेहड़ी लगाकर अपना परिवार पालते हैं। उन्होंने कहा कि वे रात में अपनी पत्नी और बेटे इनकारी (तब 25 साल उम्र) के साथ समझौता एक्सप्रेस से भारत पहुंचे थे। किसी तरह से वे गांव से निकले। वरना उन्हें यह भी पता नहीं था कि अगली सुबह वे देख पाएंगे या नहीं। उनकी पत्नी का निधन हो चुका है, जबकि मदन लाल और इकरारी को 15 साल बाद भी नागरिकता नहीं मिली। मदन लाल ने कहा कि 1992 में बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराए जाने के बाद ङ्क्षहदुओं पर पाक में अत्याचार बढ़ गए। मंदिरों को जलाया और मूर्तियों को तोड़ा जाने लगा। मदन लाल ने कहा कि उन पर इस्लाम कबूल करने का दबाव डाला जा रहा था। अगर अपने धर्म से प्यार नहीं होता तो वे अपना सबकुछ छोड़ कर यहां क्यों आते?
लाखों रुपये रिश्वत दी, फिर भी नहीं मिली नागरिकता
1998 में फ्रंटियर जिले से भारत पहुंचे हिंदू ब्राह्मण पुजारी लाल अब थक चुके हैं। 21 साल से वे सरकारी दफ्तरों में चक्कर लगा रहे हैं। कहते हैं कि लाखों रुपये रिश्वत बिचौलियों के जरिए दे चुका हूं, लेकिन निराशा के अलावा कुछ नहीं मिला। कई साल तो छिप कर यहां बिताए। शुरू-शुरू में पुलिस भी तंग करती थी, लेकिन 2014 में केंद्र में भाजपा सरकार के आने के बाद काफी राहत मिली। अब उन्हें कोई तंग नहीं करता। पुजारी लाल ने कहा कि पाकिस्तान में जुम्मा (शुक्रवार) वाले दिन अगर कोई गैर मुस्लिम पीले या लाल कपड़े के बिना बाहर निकलता था तो उसे पुलिस तंग करती थी। वे अपनी मां और दो बहनों के साथ यहां पहुंचे थे। वे अब थक चुके हैं। इसलिए अब आखिरी बार नागरिकता के लिए आवेदन करेंगे। उन्होंने पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का शुक्रिया अदा करते कहा कि जो दल व लोग इस बिल का विरोध कर रहे हैं वे एक बार ङ्क्षहदू और सिखों की हालत पाकिस्तान में देखकर आएं।
खन्ना में वर्षों से रह रहे पाक से आए हिंदू-सिख
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