लुधियाना में थाना कोतवाली प्रभारी पर सूचना आयोग ने लगाया 5 हजार जुर्माना, आवेदक को समय पर नहीं दी थी जानकारी

सूचना आयोग ने थाना कोतवाली प्रभारी सब इंस्पेक्टर हरजीत सिंह को पांच हजार रुपये जुर्माना किया है। थाना प्रभारी को 12 जुलाई को खुद मांगी गई सूचना के सभी दस्तावेज और रिकार्ड लेकर पेश होने के लिए कहा गया है।

By Vinay KumarEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 12:49 PM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 12:49 PM (IST)
लुधियाना में थाना कोतवाली प्रभारी पर सूचना आयोग ने लगाया 5 हजार जुर्माना, आवेदक को समय पर नहीं दी थी जानकारी
सूचना आयोग ने लुधियाना में थाना कोतवाली के प्रभारी को पांच हजार रुपये जुर्माना लगाया है।

लुधियाना [राजन कैंथ]। समय पर सूचना नहीं देने और तलब किए जाने पर पेश नहीं होने पर सूचना आयोग ने थाना कोतवाली प्रभारी सब इंस्पेक्टर हरजीत सिंह को पांच हजार रुपये जुर्माना किया है। आयोग ने पुलिस कमिश्नर को जुर्माना थाना प्रभारी के वेतन से काटकर सरकारी खजाने में जमा करवाने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा थाना प्रभारी को 12 जुलाई को खुद मांगी गई सूचना के सभी दस्तावेज और रिकार्ड लेकर पेश होने के लिए कहा गया है। मंडी मुलांपुर के रहने वाले जगसीर सिंह ने 18 जून 2020 को सूचना के अधिकार (आरटीआइ) के तहत थाना डिवीजन नंबर एक कोतवाली पुलिस से कुछ जानकारियां मांगी थी।

थाना प्रभारी ने एक महीने के अंदर यह जानकारी उन्हें नहीं दी। उन्होंने पुलिस कमिश्नर लुधियाना के पास पहली अपील की। वहां से भी कोई जवाब नहीं मिला। 29 अक्टूबर 2020 को राज्य सूचना आयोग के पास इसकी शिकायत की गई। आयोग ने आठ फरवरी 2021 को थाना प्रभारी को रिकार्ड सहित पेश होने के निर्देश दिए लेकिन वह पेश नहीं हुए। इसके बाद फिर दो बार पेश होने के लिए कहा लेकिन वह फिर भी नहीं पहुंचे। आयोग ने अपने आर्डर में लिखा कि लापरवाही बरतने वाले एसएचओ के खिलाफ 25 हजार रुपये जुर्माना करने का प्रावधान बनता है। फिर भी आयोग उनके प्रति उदारता दिखाते हुए सिर्फ पांच हजार रुपये जुर्माना कर रहा है।

ये जानकारी मांगी थी...

- एक जनवरी 2015 से अब तक दर्ज हुए एफआइआर की डिटेल सत्यापित कापी

- दर्ज हुए एफआइआर के चालान, जो तय समय के अंदर अदालत में पेश किए गए। उनकी सत्यापित कापी

- जिन एफआइआर के चालान तय समय में अदालत में पेश नहीं किए गए उनकी सत्यापित कापी

- एफआइआर संबंधी लंबित चालान की मुकम्मल जानकारी सत्यापित कापी सहित

समय पर चालान पेश नहीं करने से आरोपितों को मिल जाती है जमानत:

जगसीर सिंह का कहना है कि आपराधिक मामलों में 60 से 90 दिन में अदालत में चालान पेश करना होता है। कानून की धारा 167 (2) के तहत अगर समय पर चालान पेश नहीं किया जाए तो आरोपित को बिना कारण जमानत लेने का अधिकार मिल जाता है। कई मामलों में पुलिस आरोपित के साथ मिलीभगत कर चालान समय पर पेश नहीं करती है। ऐसे में पीडि़तों को इंसाफ नहीं मिल पाता है। वह कई बार लोगों की आवाज उठाने पर जेल गए हैं। उन्होंने वहां देखा कि आरोपित पुलिस से सेटिंग कर चालान में देरी करवाते हैं और आसानी से जमानत पर जेल से बाहर आ जाते हैं। नशा तस्करी के ज्यादातर मामलों में ऐसा होता है।

chat bot
आपका साथी