श्रमिकों को घर भेजने में जुटा प्रशासन, उद्यमियों की उड़ रही नींद

पहले ही लाखों की संख्या में लेबर के चले जाने से उद्यमियों की नींद उड़ी हुई है। उनको चिंता है कि बिना लेबर के फैक्ट्रियां कैसे चलेंगी।

By Sat PaulEdited By: Publish:Thu, 04 Jun 2020 11:40 AM (IST) Updated:Thu, 04 Jun 2020 03:08 PM (IST)
श्रमिकों को घर भेजने में जुटा प्रशासन, उद्यमियों की उड़ रही नींद
श्रमिकों को घर भेजने में जुटा प्रशासन, उद्यमियों की उड़ रही नींद

लुधियाना, [राजीव शर्मा]। पंजाब सरकार लेबर को अपने खर्च पर गांव भेज रही है। दो सौ ट्रेन रवाना करने के बाद जिला प्रशासन खुला आह्वान कर रहा है कि जिसने गांव जाना है गुरु नानक देव स्टेडियम पहुंचकर रजिस्ट्रेशन करवाएं। इस खुले निमंत्रण पर तो वहां भारी संख्या में श्रमिक जुट रहे हैं। प्रशासन का यह रवैया उद्यमियों को नहीं भा रहा है। पहले ही लाखों की संख्या में लेबर के चले जाने से उद्यमियों की नींद उड़ी हुई है। उनको चिंता है कि बिना लेबर के फैक्ट्रियां कैसे चलेंगी।

अब प्रशासन लेबर को गांव भेजने पर जुटा हुआ है। उद्यमी तो कई बार कह चुके हैं कि लेबर को वापस लाने के लिए भी इंतजाम किए जाएं। फोकल प्वाइंट के उद्यमी संदीप कुमार ने तो बाकी दोस्तों से चर्चा के दौरान तंज कसा कि लगता है सरकार तो पंजाब को लेबरमुक्त बनाएगी। फिर पता नहीं काम के लिए श्रमिक कहां से मिलेंगे।

एमआर ने उड़ाए इनके होश

एक वक्त था कि पिंडी स्ट्रीट में पुलिस टीम की रेड के बाद हड़कंप मच जाता था। मगर इन दिनों बिना पुलिस की दबिश के ही भागदौड़ का माहौल है। दरअसल छावनी मोहल्ले के कपड़ा कारोबारी प्रितपाल सिंह की कोरोना पॉजिटिव आने से मौत हो गई। बाद में जब उसके संपर्क वाले लोगों का चेकअप किया गया तो उसके परिवार के सात लोग भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए। इसमें उसका भतीजा भी शामिल है। अब समस्या है कि वह एक नामी दवा कंपनी में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव (एमआर) है। चिंता वाली बात यह है कि उसका संपर्क पिंडी स्ट्रीट के कई व्यापारियों से हुआ था। इसी कारण वहां पर हड़कंप मचा हुआ है। अब कई दवा विक्रेता खुद ही इम्यूनिटी बूस्ट की दवा ले रहे हैं। कई तो एक-दूसरे को फोन करके यह तक पूछते देखे गए हैं कि क्या तुमने उससे हाथ तो नहीं मिलाया था या गले तो नहीं मिला था।

मेहनत करने में शर्म कैसी

कोरोना ने जब दस्तक दी तो सभी के कामकाज ठप हो गए। उस दौरान कई ऐसे लोग भी थे जो सब्जी बेचने का काम करने लगे। आखिर मेहनती जो हैं। कर्फ्यू में जब इंडस्ट्री को चलाने की ढील मिली तो होजरी का कारोबार करने वालों ने मास्क और पीपीई किट बनानी शुरू कर दी। उनकी कुछ गाड़ी तो चलने लगी। हर व्यक्ति ने रोजी-रोटी तो कमानी ही है। इस महामारी में तो प्रॉपर्टी का कारोबार अब तक लॉकडाउन है। इसको देखते हुए प्रॉपर्टी डीलरों ने सैनेटाइजर की ट्रेडिंग शुरू कर दी है। वह कंपनियों से लेकर इसे आगे बेच रहे हैं। ताजपुर रोड और भामियां के दो प्रॉपर्टी डीलर इन दिनों इसी काम में लगे हैं। भोला प्रॉपर्टी डीलर के मालिक ने किस्सा साझा करते हुए कहा कि जब रोटी का जुगाड़ नहीं हो रहा तो कोई तो काम करना ही है। फिर काम या मेहनत करने में शर्म कैसी।

अधूरा रह गया मकान

कोरोना काल में लेबर का अपने गांव में जाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। अब नई मुसीबत यह आन पड़ी है कि फ्री यात्रा का जिसे भी मौका मिल रहा है, वह ट्रेन पकड़ कर गांव चला जा रहा है। हालांकि श्रमिकों को अब काम मिलना भी शुरू हो गया है, इसके बावजूद वे ट्रेन में फ्री यात्रा के चक्कर में घर निकल रहे हैं। ताजा किस्सा हैबोवाल में मकान का निर्माण करवा रहे ठेकेदार करम सिंह से जुड़ा है। उन्होंने छह मिस्त्री और बारह मजदूर काम पर लगा रखे थे। वह सुबह आए तो पता चला कि दो मजदूर नहीं आए। अगले दिन दो और गायब हो गए। कुछ दिन में ही बाकी मजदूर और मिस्त्री भी नहीं दिखे। पता चला कि सभी ने गांव की ट्रेन पकड़ ली है। अब लेबर नहीं मिलने से मकान का काम अधूरा है। ठेकेदार ने कहा कि यही हालात रहे तो पता नहीं काम कैसे चलेगा।

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