लुधियाना में ट्रक-ट्राला की अवैध पार्किंग बन गए फोकल प्वाइंट के रोड, फैक्ट्रियों से निकलने वाले मजूदर होते हैं हादसों का शिकार
लुधियाना में फोकल प्वाइंट व इंडस्ट्रियल एरिया की सड़कों के दोनों तरफ खड़े ट्रक व ट्राला आए दिन हादसों का कारण बन रहे हैं। वाहनों का जमघट होने की वजह से साइकिल चालक व पैदल चलने वाले मजदूरों को काफी खतरा बना रहता है।
लुधियाना [राजन कैथ/मनोज दुबे]। फोकल प्वाइंट व इंडस्ट्री्यल एरिया की सड़कों के दोनों तरफ खड़े ट्रक व ट्राला आए दिन हादसों का कारण बन रहे हैं। उन इलाकों की फैक्ट्रियों से निकलने वाले मजदूर अकसर हादसों का शिकार होते हैं। वाहनों का जमघट होने की वजह से साइकिल चालक व पैदल चलने वाले मजदूरों को काफी खतरा बना रहता है। कार्रवाई न होने से चौबीस घंटे सड़क के दोनों ओर ट्रक व भारी वाहनों का मेला लगा रहता है। सड़क किनारे चालक अपने भारी वाहनों को रात के समय भी बेतरतीब खड़ा कर देते हैं, जो अकसर दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं। जिनमें बड़ी संख्या में लोगों की जान भी जा रही है। जीवन नगर चौक, राकमैन चौक व फोकल प्वाइंट के सभी इलाकों को ट्रक ट्राला चालकों ने अवैध पार्किग बना रखा है।
जीवन नगर चौकी से फोकल प्वाइंट जाने वाले सड़क पर बीच सड़क पर चौबीस घंटे ट्रक खड़े रहने से ऐसा प्रतीत होता है की मानो वो सड़क केवल उनकी पार्किंग के लिए ही है। कई बार दिखावे के लिए पुलिस वहां ट्रक चालकों पर कार्रवाई तो करती है। लेकिन उसके बावजूज समस्या आज तक दूर नहीं हो सकी। ट्रकों से लंबे लदे लोहे के सरिए और भी घातक साबित हो रहे हैं। कई बार ट्रकों या अन्य लोडिंग वाहनों में उनकी क्षमता से अधिक माल भरा होता है। मुख्यता लोहे के सरिए, गार्डर आदि जो लोडिंग की लंबाई में न आते हुए पीछे निकले रहते हैं। इस तरह के वाहन भी हादसों का कारण बनते हैं। पीछे से आ रहे वाहन कभी भी इन सरियों या लोहे के गार्डर से टकरा सकते हैं। मगर पुलिस का उस और कभी ध्यान नहीं गया।
राष्ट्रीय राजमार्ग के सिक्स लेन बनने का जहां फायदा हुआ है। वहीं, जान का जोखिम भी बढ़ गया है। हाइवे के दोनों तरफ लापरवाही से खड़े किए माल से भरे ट्रक दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं। पीछे से आने वाले तेज रफ्तार वाहन खड़े वाहनों से टकरा जाते हैं। ऐसी कई घटनाएं हो चुकीं है। लेकिन लापरवाह वाहन चालकों पर आज तक लगाम नहीं लग सकी। दुर्घटनाएं अकसर ढाबों के आसपास होती हैं, जब ट्रक चालक लापरवाही से वाहन खड़ा कर देते हैं। रात के समय तो स्थिति और भी भयंकर हो जाती है, खड़े वाहनों में न तो पार्किंग लाइट और न ही रिफ्लेक्टर लगे होते हैं। छिटपुट मामले तो यहां प्रतिदिन होते रहते हैं।