अवैध खनन का पर्दाफाश मामले में बैंस पर केस दर्ज करवाने वाले अफसरों की बढ़ सकती हैैं मुश्किलें
अवैध खनन मामले में जस्टिस मेहताब सिंह गिल आयोग ने सीएम को रिपोर्ट सौंप दी है। इसमें खनन विभाग के दो अधिकारियों व दो तत्कालीन थाना प्रभारियों के खिलाफ जांच की सिफारिश की गई है।
जेएनएन, चंडीगढ़। लुधियाना में अवैध खनन का पर्दाफाश करने के लिए लोक इंसाफ पार्टी के विधायक सिमरजीत सिंह बैंस और 29 अन्य लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करवाने वाले खनन विभाग और पुलिस के अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। जस्टिस मेहताब सिंह गिल आयोग ने अपनी 43वीं रिपोर्ट में पूरे मामले को झूठा घोषित किया है।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को सौंपी गई रिपोर्ट में जस्टिस गिल और बीएस मेहंदीरत्ता ने खनन विभाग के एक महाप्रबंधक समेत दो अधिकारियों और लुधियाना के दो तत्कालीन थाना प्रभारियों के खिलाफ जांच करवाए जाने की सिफारिश की है।
गौरतलब है कि बैंस ने अप्रैल, 2015 में लुधियाना के चुहरवाल गांव में अपने समर्थकों के साथ पहुंचकर अवैध खनन की पोल खोलने का प्रयास किया था। उन्होंने इसे तत्कालीन सरकार द्वारा समर्थित अवैध खनन के खिलाफ सत्याग्रह बताया था। इस दौरान खनन विभाग के अधिकारियों और पुलिस द्वारा बैंस समर्थकों को रोके जाने पर दोनों पक्षों के बीच विवाद हुआ। इसके बाद बैंस और उनके समर्थकों के खिलाफ खनन अधिनियम तथा अन्य धाराओं के तहत एफआइआर दर्ज की गई थी। पुलिस ने बाद में हत्या के प्रयास जैसे गंभीर आरोप भी जोड़ दिए थे। पिछले साल ट्रायल कोर्ट ने इस एफआइआर को रद करते हुए बैंस व अन्यों को बरी कर दिया था।
सियासी रंजिश के तहत दर्ज मामलों की जांच कर रहा आयोग
शिअद-भाजपा सरकार के दौरान सियासी रंजिश के तहत दर्ज किए गए मामलों की जांच के लिए कैप्टन सरकार ने गिल आयोग का गठन किया था। इससे पहले आयोग ने सुखपाल सिंह खैहरा और शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के नेता सिमरनजीत सिंह मान को भी पुलिस द्वारा दर्ज किए गए मामलों में राहत दी थी। आयोग ने अपनी 41वीं रिपोर्ट में कहा है कि आयोग को मिली शिकायतों में से अब तक 3550 मामले निपटाए जा चुके हैं और 415 मामलों में कार्रवाई की सिफारिश की गई है। आयोग ऐसे मामलों पर सुनवाई कर रहा है जिनमें पुलिस ने एफआइआर दर्ज करने के बाद अदालत में चालान पेश नहीं किए हैं। रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने 326 मामलों में कार्रवाई की है।