प्रभु से प्रेम है तो प्रतीक्षा भी करनी चाहिए..

हम भगवान महावीर जन्मोत्सव तो मनाते हैं लेकिन उनका अनुसरण कम ही करते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 06:30 AM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 06:30 AM (IST)
प्रभु से प्रेम है तो प्रतीक्षा भी करनी चाहिए..
प्रभु से प्रेम है तो प्रतीक्षा भी करनी चाहिए..

कृष्ण गोपाल, लुधियाना

हम भगवान महावीर जन्मोत्सव तो मनाते हैं, लेकिन उनका अनुसरण कम ही करते हैं। इसलिए सभी को पूरे तन, मन से उपवास करना चाहिए। उअच्छे श्रावक वहीं है, जो तप, त्याग व स्वाधाय का अनुसरण करते हैं। भगवान महावीर जी ने भी किया था, हम सभी को इसका अनुसरण करना चाहिए। प्रभु से यदि प्रेम है तो परीक्षा नहीं, प्रतीक्षा होनी चाहिए। जो शारीरिक रोगी होते हैं, उन्हें अस्पताल से आराम आता है जो मानसिक रोगी होते हैं, उन्हें सभा में आराम मिलता है। इसी धारणा को लेकर भगवान महावीर का अनुसरण करना चाहिए। 25 अप्रैल को महावीर जयंती है, इस उत्सव को कोविड को देखते हुए चाहे घरों में नवकार मंत्र, मंगलमय पाठ व हो सके सोशल गाइडलाइंस के अनुसार जैन स्थानकों में संतों से सुनें। जीवन को परखने व जांचने का महापर्व है महावीर जयंती..

मानव रत्न रामकुमार जैन, प्रेमचंद जैन, राजेश जैन ने कहा कि महावीर ने अपने जीवन को परखने और जाचने के लिए ही महापर्व महावीर जयंती की अवधारणा समाज को दी है। उन्होंने आगे कहा कि व्यक्ति स्वयं अनुभव करें, जब प्रसन्न होता है, तब उसका मन हल्का हो जाता है, तब संबंधों में मधुरता अपनत्व का भाव बढ़ता है। इस क्षण भंगुर जीवन में व्यक्ति न जाने कितनी ग्रंथियों अपने भीतर में बांधकर रखता है, इस मनुष्य जीवन में जितना भी अच्छा करें, कम है, लेकिन फल हमेशा मिलता है, चाहे अच्छा करे, या गलत। महावीर जयंती पर्व तो मनाते है, अनुसरण से पीछे हैं

रमेश जैन बिट्टा, महेंद्र पाल जैन, डा. पवन ढींगरा ने कहा कि महावीर कहते हैं कि इंसान की किस्मत उस दिन फूटती है। जिस दिन उसकी सोच उसकी ²ष्टि नकारात्मक हो जाती है।भगवान महावीर ने जप, तप व स्वाध्याय के संगम से मोक्ष की प्राप्ति हासिल की। हम भगवान महावीर जयंती तो मनाते है, लेकिन उनका अनुसरण करने में पीछे है, इसलिए सभी को पूरे तन, मन से उपवास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अच्छे श्रावक वहीं है, जो तप, त्याग व स्वाधाय का अनुसरण करते है। भगवान महावीर जी ने भी किया था, हम सभी को इसका अनुसरण करना चाहिए

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समय समय पर मानव जीवन के उत्थान का कार्य करें

नीरज आहूजा बूटा, नरेंद्र पाल सिंह, संजय जैन, कीमती लाल जैन ने विचारों के महत्व से सभी विवेकशील लोग भली-भांति परिचित हैं, कितु क्या अच्छे और उच्चे विचारों का महत्व केवल सुंदर शब्दों तक सिमट जाना चाहिए ।क्या इन्हें जनमानस में आरोपित कर उसे वैचारिक रूप से समृद्ध नहीं किया जाना चाहिए। इस धरा पर अनेक विचारक चितक हुए हैं, जिन्होंने समय-समय पर मानव जीवन के उत्थान के लिए कई कल्याणकारी विचार प्रकट किए हैं।

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