आप हों तैयार तो सुख व समृद्धि के हैं बहुत उपाय, बस थोड़े प्रयास की जरूरत

पराली से खुशहाली और समृद्धि भी ला सकते हैं व दूसरी अोर इसे जलाकर अपने संग दूसरों के लिए मुसीबत पैदा करते रह सकते हैं। आसान उपाय अपनाएं और पराली से खुशहाली की ओर बढ़ें।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Mon, 08 Oct 2018 10:14 AM (IST) Updated:Mon, 08 Oct 2018 12:02 PM (IST)
आप हों तैयार तो सुख व समृद्धि के हैं बहुत उपाय, बस थोड़े प्रयास की जरूरत
आप हों तैयार तो सुख व समृद्धि के हैं बहुत उपाय, बस थोड़े प्रयास की जरूरत

लुधियाना, [आशा मेहता]। समृद्धि और खुशहाली के कई उपाय व रास्‍ते हैं। यह आप पर है किस रास्‍ते को अपनाते हैं। थोड़े प्रयास से आप काफी लाभ कमा सकते हैं या लापरवाही से अपने साथ दूसरों के लिए भी मुसीबत पैदा करते रहेंगे। हम बात कर कर रहे हैं खेतों में पराली जलाने की समस्‍या की। पंजाब के किसान हर साल करीब 150 लाख टन पराली आग के हवाले कर देते हैं। यदि जलाने के बदले इसका सही तरीके से प्रयोग किया जाए तो यह खुशहाली लाने वाला साबित होेगा।

पंजाब में पराली प्रबंधन के लिए इससे 10 गुणा अधिक मशीनरी की जरूरत है।

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू)के वैज्ञानिकों के अनुसार यदि किसान पराली का उचित ढंग से प्रयोग करें तो यह उनकी खुशहाली का कारण बन सकती है। पीएयू की ओर से किसानों को पराली प्रबंधन के कई विकल्प उपलब्ध करवाएं गए हैं। यदि इनका इस्तेमाल किया जाए, तो किसानों आसानी से पराली का प्रबंधन कर सकते हैं।

विश्‍वविद्यालय के डायरेक्टर (एग्रीकल्चर) डॉ. जसबीर सिंह बैंस के अनुसार] इस साल किसान धान की पराली को आग के हवाले ने करें। किसानों को 24900 मशीनें सब्सिडी पर उपलब्ध करवाई जाएंगी। इससे पराली को खेत में ही खपा कर भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाया जा सकता है। साथ ही प्रदूषण को रोका जा सकता है।

इस साल पराली प्रबंधन के लिए किसानों को दी जाएंगी 24900 मशीनें

इन मशीनों में सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम (फॉर सेल्फ प्रोपैल्ड कंबाइन हार्वेस्टर), गेहूं की सीधी बिजाई करने वाली हैप्पी सीडर, पराली को छोटे छोटे हिस्से में काटने वाली पैडी स्ट्रॉ चौपर, मल्चर व शरेडर, हाइड्रोलिक रिवर्सिबल एमबी प्लो, जीरो सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल, स्प्रेडर, रोटरी स्लैशर, रोटावेयर, बेलर शामिल है। अब तक 12 हजार से अधिक मशीनें दी जा चुकी है।

पराली प्रबंधन के लिए उपलब्ध मशीनें

- हैप्पी सीडर 1640

-चॉपर/मल्चर व कटर 1530

-बेलर 486

-रिवर्सिबल व एमओ प्लो 720

-सुपर एसएमएस 1360

-जीरो टिल ड्रिल 1107

-रोटरी स्लैशर 923

-रोटावेयर 1792

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मशीनों पर कितनी सब्सिडी (रुपये में)

किसान ग्रुप व सहकारी सभाओं को मशीनों की खरीद के लिए 80 फीसद सब्सिडी व अकेले किसान के लिए 50 फीसद सब्सिडी उपलब्ध करवाई जा रही है।

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मशीनों की मदद से करें पराली का प्रबंधन

1. हैप्पी सीडर: एक दिन में 6-8 एकड़ रकबे में बिजाई: पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की ओर से पीएयू हैप्पी सीडर नाम की मशीन तैयार की गई है। इस मशीन के साथ गेहूं की बिजाई कटर, रिपर (स्टबल शेवर) चलाने के बाद की जा सकती है। यह मशीन पराली को खेत में से निकाले बिना गेहूं की सीधी बिजाई करती है। इस मशीन में फलेल किस्म के ब्लेड लगे हुए हैं, जो कि ड्रिल के बिजाई करने वाले फाले के सामने आने वाली पराली को काटते हैं और पीछे की तरफ धकेलते हैं।

मशीन के फालों में पराली नहीं फंसती और साफ की गई कटी हुई जगहों पर बीज सही तरीके से बीजा जाता है। यह मशीन 45 या इससे अधिक हॉर्स पावर ट्रैक्टर के साथ चलती है। एक दिन में करीब 6-8 एकड़ रकबे में बिजाई करती है। हैप्पी सीडर से बीजी गई गेहूं का लाभ यह भी है कि गेहूं की फसल में खरपतवार 50 से 60 फीसद कम उगते हैं। हालांकि, हैप्पी सीडर के साथ बिजाई के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। जैसे कि हैप्पी सीडर के साथ गेहूं की बिजाई से पहले धान की पराली को खेत में एक बराबर बिखेरना बहुत जरूरी होता है। हैप्पी सीडर के साथ बिजाई से पहले खेत में नमी अधिक होनी चाहिए।

धान के खेत को भी आखिर का पानी इस हिसाब से लगाना चाहिए कि धान की कटाई के बाद में हैप्पी सीडर के साथ गेहूं की बिजाई बिना रुकावट संभव हो सके। सुबह व शाम को ओस पडऩे पर हैप्पी सीडर से बिजाई नहीं हो सकती। पिछले साल वर्ष 2017 में हैप्पी सीडर की मदद के साथ पंजाब में करीब 66, 250 लाख एकड़ रकबे में गेहूं की बिजाई हुई थी। पंजाब में करीब 1500 हैप्पी सीडर हैं।

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2. सुपर एसएमएस: पराली को कुतर कर बिखेरने में मदद : धान की कंबाइन के साथ कटाई करने के दौरान खेत में कटी हुई पराली की कतारें बन जाती हैं। हैप्पी सीडर के साथ गेहूं बीजने से पहले धान की पराली को खेत में एक जैसा बराबर मात्रा में बिखेरना जरूरी है। इस कार्य के लिए पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की ओर से पीएयू सुपर एसएमएस मशीन तैयार की गई है।

इस मशीन को किसी भी स्वचालित कंबाइन हार्वेस्टर के साथ फिट करके कंबाइनों के वाकरों में नीचे गिरने वाली पराली को कुतर कर एक जैसा खेत में बिखेरा जा सकता है। सुपर एसएमएस के साथ पराली को कुतर कर बिखेरने के बाद हैप्पी सीडर या स्पेशल नो टिल ड्रिल मशीन के साथ गेहूं की सीधी बिजाई की जा सकती है। इससे स्टबल शेवर चलाने की जरूरत नहीं पड़ती।

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3. चॉपर: पराली को जमीन में मिलाने में सहायक : पराली को खेत में मिलाने के लिए यूनिवर्सिटी की ओर से चॉपर विकसित किया गया है। यह मशीन धान की पराली को बारीक बारीक काट कर खेत में बिखेर देती है। यह मशीन 45-50 हॉर्स पावर के ट्रैक्टर से चलाई जा सकती है। इस मशीन की क्षमता 0.6-0.75 एकड़ प्रति घंटा है। इस मशीन को चलाने के बाद खेत को पानी लगाकर और रोटरी टिल्लर (रोटावेयर) की मदद से इसे मिट्टी में मिला दिया जाता है।

इस तरीके से मिट्टी के संपर्क में आने के साथ पराली पूरी तरह और तेजी से गलने लगती है। पराली को और तेजी से गलाने के लिए एक एकड़ में बीस किलो यूरिया डाला जा सकता है। कुछ दिनों में पराली जमीन में जब गल जाती है, तो आम ड्रिल के साथ गेहूं की बिजाई की जा सकती है। धान या बासमती कंबाइन के साथ काटने के बाद चॉपर यदि जल्दी चलाया जाए, तो पराली आसानी से कुतरी जा सकती है।

कुतरी हुई पराली को मिट्टी में मिलाने पर वह जल्दी गल जाती है। जमीन की मिट्टी की किस्म के हिसाब से खेत में पराली के गलने में करीब दो से तीन हफ्ते लग जाते हैं। चॉपर चलाने से पहले ट्रैक्टर के इंजन के चक्कर को 1600-1800 के बीच में सेट करके चलाना चाहिए। पंजाब में चॉपर की संख्या 250 करीब है

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4. एमबी प्लो: मिट्टी में मिल जाती है कुतरी हुई पराली: कंबाइन के साथ धान की कटाई के बाद पराली को चॉपर की मदद से बारीक कुतरने के बाद उसे एमबी प्लो (उलटावे वाले हल) के साथ मिलाया भी जा सकता है। यह हल दो तरह के होते हैं। एक फिक्स व दूसरा रिवर्सिबल। फिक्स किस्म का हल मिट्टी को एक तरफ पलटता है, जबकि रिवर्सिबल किस्म के हल के साथ खेत की पट्टी के आखिर तक हल मूव कर लेता है। इससे खेत में कोई खाली जगह नहीं बनती और न ही लेवल खराब होता है।

पिछले साल वर्ष 2017 में करीब 5000 एकड़ में चॉपर, मल्चर के प्रयोग से धान की पराली को खेत में बिखेर कर और इसके बाद हल व रोटरी टिल्लर के प्रयोग से आलू व सब्जियों की खेती की गई थी। पंजाब में 720 के करीब रिबर्सिबल एमबी प्लो है।

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5. रेक: कतारें बनाने में आसानी: इस मशीन के साथ खेत में कटी व बिखरी हुई पराली को खेत में ही कतारें बना ली जाती हैं। बिखरी हुई पराली की कतारें बनाने से इसके बाद चलने वाले बेलर का काम बहुत तेजी से हो जाता है और बेलर के खेत में चक्कर भी कम लगते हैं। यह मशीन ट्रैक्टर पीटीओ से चलती है।

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6. बेलर: पराली को खेत से बाहर निकालकर प्रयोग में लाना: पराली को खेत में इकट्ठा करने के लिए बेलर मशीन का प्रयोग किया जा सकता है। यह मशीन खेत में जगह-जगह बिखरी हुई पराली को इकट्ठा करके आयताकार गांठें बना देती है। इन आयताकार गांठों को खेत में बड़ी आसानी से इकट्ठा किया जा सकता है।

पराली की इन गांठों को बालन के लिए गोले बनाने के लिए, गत्ता बनाने के लिए, कंपोस्ट तैयार करने के लिए, पराली चार बनाने के लिए, बिजली पैदा करने के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है। यह मशीन केवल कटे हुए पराल को ही इकट्ठा करती है। इसलिए यदि सारा पराल खेत में इकट्ठा करके बाहर निकालना हो तो इस मशीन को चलाने से पहले खेत में पराली के खड़े हिस्से को स्टबल शेवर के साथ काट लेना चाहिए।

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7. बेलर: पलभर में बन जाती हैं गांठें बनाने में: 40-110 सेंटीमीटर की लंबाई की गांठें बनाती है। गांठों की ऊंचाई 36 सेंटीमीटर व चौड़ाई 46 सेंटीमीटर हो सकती है। गांठों का भार 15 से 35 किलो तक का होता है। यह मशीन एक दिन में आठ से दस एकड़ के खेत की पराली की गांठें बना देती है। वर्ष 2017 में 1.51 लाख एकड़ में धान की पराली को बेलर के जरिए गांठें बनाकर इसका प्रयोग बिजली पैदा करने व अन्य कार्यों के लिए किया गया था। पंजाब में बेलर की संख्या पांच सौ के करीब है।

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