पंजाब में कोरोना से मौत के आंकडाें में गड़बड़ी, प्रोटोकाल से अंतिम संस्कार व सरकारी मृतक संख्‍या में भारी अंतर

Corona Death in Punjab पंजाब में कोरोना से मौत के सरकारी आंकड़े और कोरोना प्रोटोकाल से अंतिम संस्‍कार के आंकड़ों में भारी अंतर है। यह अंतर करीब 50 फीसद का है। इससे सरकारी आंकड़ों पर सवाल उठ गए हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Sat, 12 Jun 2021 09:35 AM (IST) Updated:Sat, 12 Jun 2021 11:03 AM (IST)
पंजाब में कोरोना से मौत के आंकडाें में गड़बड़ी, प्रोटोकाल से अंतिम संस्कार व सरकारी मृतक संख्‍या में भारी अंतर
पंजाब में कोराेना से मौत के सरकारी आंकड़े और प्रोटोकाल से अंतिम संस्‍कार के आंकड़े में अंतर है। (फाइल फोटो)

लुधियाना/जालंधर, जेएनएन। बिहार में कोरोना से होने वाली मौत के आंकड़े में गड़बड़ी की बात सामने आने के बाद पंजाब मेें भी इसकी संभावना जताई जा रही है। आशंका व्यक्त की जा रही है कि पंजाब में भी कोरोना से हुई मौत के आंकड़े छिपाए जा रहे हैं। यह आशंका इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि कोरोना प्रोटोकाल से अंतिम संस्कार और मौत के सरकारी आंकड़ों में लगभग 50 फीसद का अंतर आ रहा है।

जालंधर में एक मई से 10 जून तक 635 का अंतिम संस्कार, रिकार्ड में सिर्फ 340 मौतें

जालंधर के श्मशानघाटों में एक मई से 10 जून तक 635 शवों का अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकाल से किया गया, जबकि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इन 41 दिनों में सिर्फ 340 लोगों की ही कोरोना से मौत हुई। इनमें से 550 अंतिम संस्कार तो सिर्फ मई में ही हुए, जबकि प्रशासन के रिकार्ड में सिर्फ 288 मौतें ही दर्ज हैं। जून में भी अब तक 85 लोगों का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकाल से किया गया है, जबकि सरकारी रिकार्ड में सिर्फ 52 मौतें दर्ज हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर 295 मौतें कोरोना से नहीं हुई, तो इनका अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकाल से क्यों किया गया।

लुधियाना में 1229 शवों का अंतिम संस्कार, लेकिन 678 मौतें ही दर्ज

इसी तरह लुधियाना में विभाग के अनुसार मई में कोरोना के कारण 624 और जून में 54 लोगों की मौत हुई है। वहीं, श्मशानघाटों पर मई में 1116 और जून 113 शवों का अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकाल के तहत किया गया। सेहत विभाग इसके पीछे सरकार के दिशा-निर्देशों का हवाला देता है, लेकिन मरने वालों के पारिवारिक सदस्य असमंजस में हैं कि क्या उनके किसी अपने को कोरोना था? क्या उनकी मौत कोरोना से हुई थी? अगर नहीं तो उन्हें अंतिम संस्कार में क्यों शामिल नहीं होने दिया गया। प्रशासन ने मौत के आंकड़ों में रोज आ रहे अंतर पर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया।

सरकार व डब्ल्यूएचओ के दिशा-निर्देशों का हवाला दे रहा सेहत विभाग

जालंधर में सेहत विभाग के नोडल अफसर डा. टीपी सिंह ने बताया कि कोरोना के संदिग्ध मरीज, मरीज को अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद 15 दिन के भीतर उसकी मौत होने, अस्पताल में दाखिल होने पर रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद मौत होने, दूसरे जिले में इलाज के दौरान मौत होने जैसे मामलों में अंतिम संस्कार के समय कोविड प्रोटोकाल का पालन किया जाता है, लेकिन डेथ रिपोर्ट में कोरोना नहीं जोड़ा जाता। सरकार व डब्ल्यूएचओ के यही दिशा-निर्देश हैं।

वहीं, कोरोना मामले में स्वास्थ्य विभाग के राज्य के नोडल अधिकारी डा. राजेश भास्कर का कहना है कि जिन लोगों का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकाल के तहत किया गया है, उसे भी कोरोना मृत्यु में ही दर्ज किया गया है। पंजाब में आंकड़े नहीं बदले जाएंगे।

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