Make In India : लुधियाना की साइकिल वैली से हीरो साइकिल ने यूरोप में एचएनएफ ई-बाइक की पहली शिपमेंट पहुंचाई

हीरो साइकिल ने हीरो इंटरनेशनल के एचएनएफ ब्रांड के तहत मेड इन इंडिया ई-बाइक के अपने पहले बैच को सफलतापूर्वक यूरोप के बाजार में उतार दिया है। कंपनी का मानना है कि आने वाले समय में ई-बाइक्स ही सड़कों पर दौड़ने वाली है।

By Vinay KumarEdited By: Publish:Fri, 25 Jun 2021 12:24 PM (IST) Updated:Fri, 25 Jun 2021 12:24 PM (IST)
Make In India : लुधियाना की साइकिल वैली से हीरो साइकिल ने यूरोप में एचएनएफ ई-बाइक की पहली शिपमेंट पहुंचाई
हीरो साइकिल ने यूरोप में एचएनएफ ई-बाइक की पहली शिपमेंट पहुंचाई है।

लुधियाना [मुनीश शर्मा]। Make In India : हीरो साइकिल ने हीरो इंटरनेशनल (एचआईटी) के एचएनएफ ब्रांड के तहत 'मेड इन इंडिया' ई-बाइक के अपने पहले बैच को सफलतापूर्वक यूरोप के बाजार में उतार दिया है। यह शिपमेंट हीरो मोटर्स कंपनी (एचएमसी) को यूरोप में पूरी तरह से इंटीग्रेटेड ई-बाइक कंपनी के रूप में स्थापित करने की दिशा में प्रमुख कदम साबित हो सकता है। कंपनी के पास भारत में बहुत बड़ी मैन्युफैक्चरिंग क्षमता है। एचएमसी की यूरोपीय बाइक और ई-बाइक ब्रांच हीरो इंटरनेशनल का लक्ष्य 2025 तक आर्गेनिक रिवेन्यु €300 मिलियन तक और इन्कोर्बेनिक €200 मिलियन से ज्यादा का रेवेन्यू प्राप्त करना है। ट्रेक और डोरेल साइक्लिंग सहित वरिष्ठ भूमिकाओं में 25 वर्षों तक बाइक इंडस्ट्री में काम कर चुके जेफ वेल्स को हाल ही में लंदन बेस्ड हीरो इंटरनेशनल का सीईओ बनाया गया है।

कंपनी का मानना है कि आने वाले समय में ई-बाइक्स ही सड़कों पर दौड़ने वाली है। इसलिए ऐसा अनुमान है कि 2030 तक यूरोप में 15 मिलियन यूनिट ई-बाइक की बिक्री होगी। हीरो इस बाजार में बड़ी कंपनी बनकर उभरेगी। इसका कारण यह है कि एनएचएफ इंजीनियरिंग और डिजाइन एक्सर्पटाईज से लैस होने के कारण कंपनी बेहतरीन क्वालिटी वाली ई-बाइक्स का निर्माण कर रही है। लुधियाना के 100 एकड़ वाले साइकिल वैली के बनने से हीरो कम्पनी की मैन्युफैक्चरिंग क्षमता में काफी सुधार आया है।

यूरोप मार्केट पंजाब की साइकिल इंडस्ट्री को देगा नई दिशा

एचएमसी ग्रुप के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर पंकज एम मुंजाल ने कहा कि आज के समय में भारत का बाइक मार्केट €0.8 बिलियन है। अर्थात हर साल 15 मिलियन बाइक का मार्केट है। जबकि यूरोपीय बाजार भारत से 15 गुना ज्यादा है। ई-बाइक बाजार में फायदा है, इस बाजार की कीमत यूरोप के लिए €5 बिलियन, भारत  (€0.1 बिलियन) के 50 गुना मूल्य के बराबर है। जब भारत में ई-बाइक के बारें में बातचीत शुरूआती अवस्था में थी, तो उस समय यूरोप में ई-बाइक मशहूर थी। इसका कारण यह था कि वहां का बुनियादी ढांचा और नीतियों दोनों की वजह से ई-बाइक के व्यापार को फलने-फूलने के लिए अनुकूल वातावरण मिला। एक बिजनेस निर्णय के अलावा यूरोपीय बाजार में प्रवेश करने का उद्देश्य हमारी ताकत को फैलाना भी था। चूंकि हम भारत में बाजार निर्माता और अग्रणी कम्पनी है इसलिए हमारे पास दुनिया को देने के लिए बहुत कुछ था। हमारी उत्पादन क्षमता हमें यूरोप के मौजूदा सप्लायर्स से कोसो आगे रखे हुए है। हीरो इंटरनेशनल और इसके मौजूदा ब्रांडों से हमारा दृष्टिकोण अब यूरोप में सबसे बड़ी पूरी तरह से इंटिग्रेटेड ई-बाइक कंपनी बनना है।

1956 में 25 साइकिलों के निर्माण से आरंभ हुआ था हीरो का सफर

एचएमसी की यह शानदार यात्रा लुधियाना में  1956 के समय में साइकिल के प्रमुख पार्ट्स को निर्मित करने के साथ शुरू हुई थी। कंपनी के पास मुसीबत को सफलता में बदलने का हुनर है। उस साल हीरो एक दिन में 25 साइकिल बनाने के लिए भारत सरकार से 100 लाइसेंसों में से एक को जीतने में कामयाब रहा ( उस समय जो 100 कंपनिया थी उनमे से केवल 6 ही अभी भी चल रही हैं)। जब हीरो नई-नई इस बाजार में उतरी थी तो पहले से ही बड़ी कंपनियों जैसे कि बिड़ला (हिंद साइकिल), टीआई (बीएसए और हरक्यूलिस), रैले और एटलस साइकिल जैसे अंतरराष्ट्रीय ब्रांड बाजार में छाए हुए थे।

हीरो साइकिल ने साल 1975 तक प्रतिदिन 7,500 साइकिल बनाने की अपनी क्षमता का विस्तार करना जारी रखा और 1986 तक कंपनी ने लुधियाना में स्थानीय कंपोनेंट विक्रेताओं में निवेश करते हुए और अपने डिस्ट्रीब्युटिंग नेटवर्क को बढ़ाते हुए बाजार में 48% हिस्सेदारी पर कब्जा कर लिया था। 2015-16 तक जब बाजार में न्यूनतम या कोई वृद्धि नहीं हो रही थी और न ही फैंसी साइकिलों की ब्रांडेड साइकिलें आ रही थी, और न ही सरकारी कांट्रैक्ट के माध्यम से कुछ मिल रहा था। तब इस समय कंपनी ने प्रगति के 3 पिलर्स की पहचान करके विकास के नया मापदंड स्थापित किया। ये तीन पिलर्स निम्न थे। हीरो ने सबसे पहले तेजी से अपनी स्थिति को मजबूत किया।

कंपनी का लक्ष्य था- भारत के सबसे बड़े फायरफॉक्स ब्रांड का अधिग्रहण करके भारत में प्रीमियम साइकिलिंग सेगमेंट का विकास करना, अपने स्वयं के विशिष्ट ब्रांड आउटलेट (ईबीओ) और हाई ब्रांड इक्विटी के साथ प्रीमियम बाइक ब्रांड का विस्तार करना; अपने ब्रांड हीरो लेक्ट्रो के लॉन्च के साथ इलेक्ट्रिक बाइक में वैराइटी लाना आदि। इससे कंपनी ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अपनी पहुंच बनायीं जिससे यूरोपीय बाजार की हलचलों पर नज़र रखने के लिए हीरो इंटरनेशनल की स्थापना हुई।

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